भोपाल(Bhopal)।मध्य प्रदेश की 23 हजार ग्राम पंचायतों में काम काज ठप्प हो गया.अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे पंचायत और ग्रामीण विकास के अधिकारी कर्मचारी अब संगठन की शरण में पहुंचे हैं. सरकार से बातचीत विफल होने के बाद प्रदेश के पंचायत कर्मी न सिर्फ बीजेपी संगठन बल्कि सांसद और विधायकों को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगे रखेंगे. पंचायत संयुक्त मोर्चा का कहना है कि वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है और उनकी मांगे कोई आर्थिक नहीं बल्कि अनार्थिक मांगे हैं जिससे सरकारी खजाने पर बोझ नहीं पड़ेगा.
संविदा कर्मचारियों की सरकार से मांग
6 दिन से हड़ताल पर बैठे पंचायत कर्मियों का कहना है कि वह गांव की समस्याओं को लेकर आते हैं लेकिन उल्टा उन पर लगातार दबाव बनाया जाता है या कार्रवाई की जाती है. अब मुख्यमंत्री के सामने भी गुहार लगाने की तैयारी संगठन कर रहा है. संयुक्त मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि सचिव की वेतन, अनुकंपा नियुक्ति, रोजगार सहायक के संविलियन की मांग प्रमुख है. इन्हें पूरा होना जरूरी है.
हड़ताल पर एक नजर
24 और 25 जुलाई - 230 विधायक सहित सांसदों को सीएम और पंचायत मंत्री के नाम ज्ञापन
26 जुलाई - 52 जिला पंचायत अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा
27 जुलाई - 313 जनपद पंचायत अध्यक्ष को ज्ञापन
28 जुलाई 29 जुलाई - जिला मुख्यालय पर जंगी प्रदर्शन
31 जुलाई - जनपद मुख्यालय पर अर्धनग्न प्रदर्शन
2 अगस्त तक आंदोलन जारी रहेगा, अगर मांगे नहीं मानी गई तो मंत्रालय के सामने धरना प्रदर्शन होगा
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ये संगठन कर रहे विरोध
इस विरोध प्रदर्शन में जनपद सीईओ, ग्राम पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, मनरेगा डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास अभियंता संघ, मनरेगा अधिकारी कर्मचारी संघ, जिला जनपद पंचायत कर्मचारी संगठन, विकासखंड समन्वयक संघ, प्रधानमंत्री आवास योजना स्वच्छता मिशन अधिकारी कर्मचारी संघ, राज्य आजीविका मिशन कर्मचारी संघ, पंचायत समन्वयक अधिकारी कर्मचारी संगठन सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी संगठन भी प्रदर्शन के समर्थन में हैं.
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19 जुलाई से पंचायतकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
ग्राम 23 हजार पंचायतों के ग्राम रोजगार सहायक और सचिव हड़ताल पर है. इनका कहना है कि अधिकारी हो चाहे नेता हो जबरदस्ती दबाव बनाते हैं और दबाव में काम करवाते हैं और अगर हम नियम कायदे से चलते हैं तो हमारी शिकायत करवा कर हमें बर्खास्त कर देते हैं इनकी मांग है कि इनको बर्खास्त नहीं बल्कि जांच के बाद हो तो निलंबित ही किया जाए. प्रदेश के 70 हजार पंचायत कर्मी आंदोलन कर रहें हैं. 22 जुलाई को पंचायत मंत्री से बातचीत हुई लेकिन वार्ता विफल होने के बाद संगठन हड़ताल पर चला गया है.