भोपाल।केंद्र की मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की कड़ी में कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहल की है. प्रधानमंत्री ने पूरे देश के लिए एक लाख करोड़ रुपए का पैकेज देने का फैसला किया है. आत्मनिर्भर भारत की कड़ी में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए इस पैकेज में से साढ़े सात हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने योजना बनाना शुरू कर दिया है. किसानों को इसका लाभ पहुंचाए जाने के लिए पूरे देश में 10,000 कृषि उत्पादक समूह बनाए जा रहे हैं. इन कृषि उत्पादक समूह के जरिए किसानों को पैकेज का लाभ पहुंचाया जाएगा.
बागवानी फसलों और फूड प्रोसेसिंग पर फोकस
मध्यप्रदेश में कृषि विभाग के अंतर्गत हर विकासखंड में दो कृषि उत्पादक समूह बना जा रहे हैं. इस मामले में पूरे देश में मध्यप्रदेश नंबर वन पर चल रहा है. मध्यप्रदेश में जो योजना बनाई गई है, उसके तहत बागवानी फसलों और फूड प्रोसेसिंग पर ज्यादा फोकस किया जाएगा. किसानों को बागवानी फसलें ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा और उससे संबंधित सभी उद्योग गांव के आसपास लगाने की कोशिश की जाएगी. इस योजना के तहत मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किए जाएंगे.
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत खेती में बागवानी फसलों पर फोकस
कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि मध्यप्रदेश फल, फूल, सब्जी, मसाला, औषधीय एवं सुगंधित फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर होकर देश में अग्रणी भूमिका निभाए, इसके लिए आत्मनिर्भर भारत के तहत मध्यप्रदेश को साढ़े सात हजार करोड़ मिल रहे हैं. मध्य प्रदेश की सरकार कई तरह की योजनाएं क्रियान्वित कर रही है. प्रदेश की उद्यानिकी संपदा को बढ़ाने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश में उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र विस्तार के साथ साथ उच्च प्रजाति के पौधों का उत्पादन एवं वितरण, सब्जियां, मसाले, पुष्प, औषधीय एवं सुगंधित फसलों की उन्नत बीज की व्यवस्था के साथ कृषकों के उत्पादों के संग्रहण, परिरक्षण और विपणन की जानकारी के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं.
बागवानी फसलों में मध्यप्रदेश देश में कई मामलों में नंबर वन
मध्यप्रदेश में बागवानी की स्थिति बहुत अच्छी है. करीब 5 फसलों पर देश में मध्यप्रदेश नंबर वन और नंबर दो पर हैं. आज की स्थिति में मेडिसिनल एरोमेटिक में मप्र देश में नंबर एक पर हैं. मसाला की खेती में मप्र पूरे देश में नंबर एक पर हैं. लहसुन उत्पादन में हमारा देश में पहला स्थान है. इसके अलावा सब्जियों की गुणवत्ता काफी अच्छी है. सब्जी उत्पादन के मामले में मप्र देश में तीसरे और चौथे स्थान पर हैं और संतरा उत्पादन में देश दूसरा स्थान है. इसलिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए फोकस बागवानी की फसलों पर हैं. इसके अलावा खाद्य प्रसंस्करण को भी बढ़ावा देने सरकार का फोकस वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट है. माइक्रो फूड इंडस्ट्री आत्मनिर्भर भारत का एक अभिन्न अंग है. तीसरा एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के अंतर्गत पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट में कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड रूम, ग्रेडिंग फर्टिजिंग यूनिट, प्राइमरी प्रोसेसिंग और मोबाइल प्रोसेसिंग पर ध्यान दिया जा रहा है.
मध्यप्रदेश में बागवानी फसलो की स्थिति
मध्यप्रदेश में मालवा निमाड़ अंचल में इंदौर और उज्जैन संभाग में प्याज की बहुत अच्छी स्थिति है. वर्तमान में मध्यप्रदेश में लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर में प्याज का उत्पादन हो रहा है. इसके बाद हमारा लहसुन का रकबा भी बहुत अधिक है. लगभग 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में लहसुन का उत्पादन किया जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश में टमाटर का भी रकवा काफी अच्छा है. शिवपुरी जिले में हमारे यहां बहुत अधिक मात्रा में टमाटर होता है. मेडिसिनल एरोमेटिक में नीमच और उज्जैन संभाग के अलावा धनिया में गुना, अशोकनगर, श्योपुर और आलू में भिंड, मुरैना में बहुत उत्पादन हो रहा है. इसके अलावा सागर जिले में प्याज की बहुत अधिक खेती हो रही है. रीवा संभाग के किसान भी बहुत अच्छा प्याज का उत्पादन कर रहे हैं. अभी सरकार का फोकस प्लांटेशन पर है. प्लांटेशन में मध्यप्रदेश में बहुत तेजी से अमरूद की खेती हाई डेंसिटी और अल्ट्रा हाई डेंसिटी पर कर रहे हैं. जिसमें श्योपुर, रतलाम और भोपाल के आसपास अमरूद की खेती हो रही है.
फलों की खेती में आत्मनिर्भरता पर जोर