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भारतीय भाषाओं से हिंदी में अनुवाद की जरूरत और चुनौतियों पर दो दिवसीय 'अनुवाद विमर्श' शुरु

अन्य भारतीय भाषाओं से हिंदी में अनुवाद की जरूरत और चुनौतियों पर केंद्रित दो दिवसीय अनुवाद विमर्श का आयोजन भोपाल के स्वराज भवन के सभागार में शुरू हुआ.

discussions on the need and challenges of translation in Hindi
हिंदी में अनुवाद की जरूरत और चुनौतियों पर दो दिवसीय अनुवाद विमर्श का आयोजन

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Published : Feb 23, 2020, 3:05 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से अन्य भारतीय भाषाओं से हिंदी में अनुवाद की जरूरत और चुनौतियों पर केंद्रित दो दिवसीय अनुवाद विमर्श का आयोजन स्वराज भवन भोपाल के सभागार में शुरू हो गया है. जिसमें भाग लेने वाले नीरव ने कहा कि जिस तरह हम मौलिक लेखन में सृजनात्मकता बनाए रखने की कोशिश करते हैं उसी तरह अनुवाद भी, अनुवादक से यह अपेक्षा रखता है कि अनुवाद में सृजनात्मकता के साथ-साथ रचनात्मकता का समावेश भी हो.

हिंदी में अनुवाद की जरूरत और चुनौतियों पर दो दिवसीय अनुवाद विमर्श का आयोजन

उन्होंने कहा कि अनुवाद की अपनी सृजनात्मकता होती है और जब तक अनुवादक की सृजनात्मकता उसके अनुवाद में नहीं आती तब तक वह प्रभावशाली नहीं होता. उनके मुताबिक अनुवाद सिर्फ शब्द या भाषा नहीं होता बल्कि उस क्षेत्र की संस्कृति और इतिहास को भी साथ लेकर चलता है.

नीरव ने कहा कि यदि अनुवाद की भाषा जिस भाषा में अनुवाद किया जा रहा हो, उन दोनों पर प्रभावकारी नहीं होता और पाठक को नहीं बांधा जा सकता. इस अवसर पर सम्मेलन के अध्यक्ष पलाश सुरजन, महामंत्री मणि मोहन सहित अन्य सभी पदक पदाधिकारी व साहित्य जगत से जुड़े लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

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