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भगवान परशुराम आश्रम का तोड़ा जाना देश के संतों का अपमान, सरकारी जमीनों पर बने धार्मिक स्थल कब गिराए जाएंगे- अजय सिंह - रीवा

भगवान परशुराम आश्रम तोड़े जाने का कांग्रेस ने विरोध किया है, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि शिवराज सरकार ने ये कार्रवाई कर देश के साधु संतों का अपमान किया है.

Congress attacks on Shivraj government
कांग्रेस का शिवराज सरकार पर निशाना

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Published : Dec 23, 2020, 7:02 PM IST

भोपाल। रीवा में सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों के इकलौते केंद्र भगवान परशुराम आश्रम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के इशारे पर प्रशासन द्वारा अचानक गिराए जाने पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई है.

  • 'साधु-संतों का घोर अपमान'

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि यह घटना देश के साधु-संतों का घोर अपमान है, देश के कई संत महात्मा राम वन गमन पथ और चित्रकूट यात्रा के दौरान यहां रुकते थे, शिवराज सरकार ने दुर्भावनावश किए इस कार्य से भगवान परशुराम और भगवान राम के प्रति आस्था रखने वाली तमाम धर्म प्राण जनता के विश्वास को तोड़ने का जो काम किया है, उससे सभी को आघात पहुंचा है, उन्होंने शिवराज सिंह से पूछा है कि पूरे देश में अतिक्रमण कर जो धार्मिक स्थल सालों से निर्मित हैं, उन्हें कब गिराने वाले हैं ? इसकी सिलसिलेवार कार्ययोजना भी घोषित करें, अन्यथा यह माना जाएगा कि वो प्रदेश की जनता से घृणा करते हैं, और उसे उपेक्षा से देखते हैं.

  • 'बीजेपी के लिए धर्म सिर्फ राजनीति करने का जरिया'

अजय सिंह ने कहा कि जब भाजपा के तमाम नेता और विधायक वहां मत्था टेकने जाते थे, और विश्व कल्याण के लिए आयोजित महायज्ञ में जोर-शोर से शामिल होते थे, तब उन्हें अतिक्रमण नहीं दिखाई देता था, आश्रम तोड़े जाने के समय वे सब के सब गायब थे, जाहिर है कि उनके लिए धर्म सिर्फ राजनीति का माध्यम है, उन्होंने कहा है कि नोटिस देने के 24 घंटे के अंदर प्रशासनिक तत्परता का जिले का यह पहला मामला है, पूरे प्रकरण में भाजपा जनप्रतिनिधियों की आपसी खींचतान स्पष्ट नजर आ रही है, शिवराज सिंह द्वारा की गई इस कार्रवाई को विंध्य की जनता राम जन्म भूमि के शिलान्यास कार्यक्रम से भी जोड़ रही है.

  • 'विंध्य की जनता मांग रही शिवराज सिंह से जवाब'

अजय सिंह ने कहा कि रीवा में ही बड़े-बड़े बिल्डरों द्वारा सरकारी जमीन पर बनाए गए बेशकीमती भवन भाजपा सरकार को क्यों नहीं दिखते हैं ? पूंजीपतियों की सरकार को क्या वे धार्मिक स्थल नजर आते हैं ? जब प्रशासन और समाज सेवियों के बीच यह बात हो गई थी, कि भवन का कब्जा शासन ले ले, उस पर प्रशासक बैठा दें, आश्रम को तोड़कर जन भावनाओं पर प्रहार न करें, तब फिर ऐसा क्या हो गया, कि आश्रम को बुलडोजर चलाकर अचानक गिरा दिया गया, विंध्य प्रदेश की जनता शिवराज सिंह से इस प्रश्न का जवाब मांग रही है.

  • 'पूरी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित'

अजय सिंह ने कहा कि भगवान परशुराम आश्रम में भव्य यज्ञ शाला थी, जमीन का संरक्षण कर यहां कई किस्म के पेड़ लगाकर स्थल को हरा-भरा किया गया था, यहां विश्व कल्याण के लिए कई बड़े-बड़े महायज्ञ हो चुके हैं, यहां संतों का निवास स्थल जन सहयोग से बनाया गया था, इसे तोड़ने का विरोध करने वाले जेसीबी मशीन के सामने खड़े हो गए, कई साधु संतों को प्रशासन ने बल पूर्वक हटा दिया, धर्म की राजनीति करने वाली भाजपा को यह कृत्य करते जरा भी संकोच नहीं हुआ, पूरे रीवा शहर में शासकीय जमीनों का अतिक्रमण प्रशासन को दिखाई नहीं देता है, उन्होंने आरोप लगाया कि पूरी कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है, और समय आने पर विंध्य की जनता इसका जवाब जरुर देगी.

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