भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार अगले विधानसभा सत्र में लव जिहाद के खिलाफ विधेयक लाने की योजना बना रही है. जिसमें प्रलोभन और बहलाकर जबरन शादी या फिर धर्मांतरण करवाने पर 5 साल के कठोर कारावास का प्रावधान होगा. यह अपराध गैर जमानती भी हो सकता है. जबरन धर्मांतरण से हुए हुई शादी को शून्य घोषित किए जाने का भी इसमें प्रावधान रहेगा. सरकार ने विधेयक का ड्राफ्ट तैयार करना शुरू कर दिया है. जिसके बारे में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा पहले ही बता चुके हैं. इस बारे में मुस्लिम समाज की ओर से मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. कुछ लोग इसका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ का कहना है कि लव जिहाद शब्द का उपयोग आपत्तिजनक है. सरकार केवल एक खास समुदाय को टारगेट करने के लिए इस तरह का कानून लेकर आ रही है.
'लव जिहाद शब्द पर आपत्ति'
मुस्लिम विकास परिषद के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद माहिर कहते हैं कि सबसे बड़ी बात यह है कि हिंदुस्तान पहला देश है जहां धर्म को लेकर धर्मांतरण कानून बनाया गया है. दुनिया में कहीं भी इस तरह का कोई कानून नहीं है. कानून बनते रहते हैं और उनमें संशोधन भी होते हैं.मध्यप्रदेश में भी 1968 में धर्म स्वतंत्रता कानून बना हुआ है, जिसके अंदर 2 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. हमारा कहना है कि आप उसे ही मजबूत करें. लेकिन आप एक खास शब्द जिहाद का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं, जिहाद का जिक्र पवित्र कुरान के अंदर आया है और उसे 2 तरीके से बताया गया है. जिहाद माता-पिता से ताल्लुक रखते हैं, धंधे से ताल्लुक रखते हैं. मेरा कहना यह है कि आप जिहाद शब्द का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं और कानून में इसकी व्याख्या क्या करेंगे.
'सख्ती से लागू हो कानून'
बीजेपी के अल्पसंख्यक शाखा के सदस्य तौफीक खान कहते हैं कि लव जिहाद शब्द अंग्रेजी और अरबी के दो शब्दों से मिलकर बनाया गया है. जिसका उपयोग मुस्लिम समाज को कई वर्षों से बदनाम करने के लिए किया जा रहा है. अगर हिंदू लड़की मुस्लिम लड़के से शादी करती है तो उसे लव जिहाद का नाम देकर बहुत बदनाम किया जाता है, परिवार को परेशान किया जाता है. यदि सरकार ऐसा कानून लेकर आ रही है जिस कानून से डर पैदा हो, इस तरीके के जो कार्य करते हैं जो लोग अपने मजहब, अपने परिवार,अपने खानदान की लड़की को छोड़ कर गैर मुस्लिम में शादी कर लेते हैं. इससे उनका परिवार भी बिछड़ता है और परिवार के ऊपर आपत्ति आती रहती है. इसके अलावा हमारे कौम की बहनें भी ओवर ऐज होती जा रही हैं, उनकी शादियां नहीं हो रहीं हैं. यह कानून बनना चाहिए और सख्ती से इसका पालन किया जाना चाहिए.
'सरकार अपना रही दोहरे मापदंड'