भोपाल। बिना कुछ मेहनत किए करोड़पति बनने के सपने कई बार लोगों के मन में आते हैं. जिसको पूरा करने के लिए लोग धोखाधड़ी और जालसाजी का तरीका अपनाते हैं. इन मामलों में ज्यादातर केस साइबर क्राइम के होते हैं. जहां कई बार लोग या तो ऑनलाइन ठगी करके या फिर कोई अधिकारी या मंत्री बनकर लोगों को फोन लगाकर ठगते हैं. ऐसा ही कुछ अनोखा मामला राजधानी भोपाल से सामने आया है. जहां फर्जी नंबर डिस्पले कराकर रंगदारी की जा रही थी. दरअसल, आरोपी सरकारी, जनप्रतिनिधि कार्यालयों और मुख्य सचिव कार्यालय सहित सीएम हाउस का नंबर फर्जी रूप से दिखाकर धमकाते थे और उनसे ठगी करते थे. भोपाल के डॉक्टर से 1 करोड़ से ज्यादा की रंगदारी का मामला सामने आया है. आरोपियों ने सुकेश चन्द्रषेखर के मामले को देखकर इस क्राइम को करने की सीख ली.
सीएम हाउस का नंबर दिखाकर किया कॉल: दरअसल, राजधानी भोपाल में पुलिस कमिश्नर मकरंद देउसकर को एक शिकायत मिली थी. जिसमें अस्पताल के संचालक व डॉक्टर ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि उनके फोन पर शासकीय और जनप्रतिनिधि कार्यालयों सहित मुख्य सचिव कार्यालय सीएम हाउस का नंबर फर्जी रूप से दिखाकर फोन किया गया. फोन पर डॉक्टर को अस्पताल के खिलाफ छापामार कार्रवाई करने और कानूनी कार्रवाई में फंसने का डर बताया गया. फर्जी व्यक्ति द्वारा डॉक्टर से 1 करोड 10 लाख रूपये की मांग की गई थी. जब इस पूरे मामले की बारीकी से जांच की गई तो पता चला सीएम हाउस और सरकारी अधिकारियों द्वारा किसी भी तरह का कॉल नहीं किया गया है, जांच में नंबर फर्जी पाया गया. जिसके बाद मामले को साइबर क्राइम सौंपा गया.
चीन-ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों के सर्वर का किया इस्तेमाल:क्राइम ब्रांज ने जब मामले की पड़ताल की तो पाया कि सीएम हाउस का नंबर फर्जी रूप से फरियादी के मोबाइल नंबर पर था. इस पूरे काम के लिए आरोपियों को तकनीकी नॉलेज काफी थी. क्योंकि इस तरह की तकनीकी का इस्तेमाल ज्यादातर विशिष्ट अपराधी जैसे आतंकवादी, अलगावादी, हवाला कारोबारी, सायबर फिरौती के लिये किया जाता है. आरोपियों द्वारा फर्जी कॉल करने के लिये चीन, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई देशों के सर्वरों का इस्तेमाल किया गया था. साइबर टीम की तकनीकी टीम की कई कोशिशों के बाद क्राइम ब्रांच की टीम अपराधियों तक पहुंच सकी थी.