भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन की एंट्री को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. कमलनाथ ने कहा कि अभी तक प्रदेश में सरकार नए वेरिएंट के आने की आशंका ही व्यक्त की जा रही थी और अब अचानक 8 मरीजों में इसकी पुष्टि हो गई (Omicron in MP). इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए कमलनाथ ने सवाल किया कि सरकार बताएं क्यों इतनी गंभीर बात को अभी तक छुपाया गया. जबकि मुख्यमंत्री एक दिन पहले ही इंदौर में बड़े कार्यक्रम में शामिल हुए थे. आखिर इन आयोजनों को निरस्त क्यों नहीं किया गया. क्यों हजारों लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया गया.
Omicron in MP: कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर मरीजों की जानकारी छिपाने का लगाया आरोप, तैयारियों को लेकर पूछे कई सवाल - Kamal Nath accuses Shivraj government
इंदौर में ओमीक्रोन के 8 मरीज मिलने के बाद (Omicron in MP) कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर इसकी जानकारी छिपाने का आरोप लगाया है. पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर एमपी सरकार से तैयारियों को लेकर कई सवाल भी पूछे हैं.
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सरकार बताए क्या कदम उठाए गए- कमलनाथ
कमलनाथ ने ट्वीट कर पूछा है कि सरकार बताए कि नए वेरिएंट के संक्रमण को रोकने के लिए उन्होंने अभी तक क्या-क्या कदम उठाए हैं. मुख्यमंत्री को तो कल इंदौर में जाकर ओमीक्रोन कि प्रदेश में दस्तक को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा करनी थी. इलाज-बेड-अस्पताल-ऑक्सीजन-जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता की समीक्षा करनी थी, लेकिन वे समीक्षा छोड़ खुद भीड़ भरे आयोजन करते रहे. सरकार बताए कि मध्य प्रदेश के और किन-किन शहरों में ओमीक्रोन की पुष्टि हो चुकी है. अभी और कितने मरीजों के सैंपल टेस्ट के लिए भेजे गए हैं. विदेशों से कुल कितने लोग आए हैं. कितनों की अभी तक सर्चिंग हो चुकी है. और कितनों की जांच अभी तक की जा चुकी है और कितनों की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है.
पंचायत चुनाव टलने को कांग्रेस ने बताई अपनी जीत
उधर पंचायत चुनाव का अध्यादेश वापस लेने के शिवराज कैबिनेट के फैसले को कांग्रेस ने अपनी बड़ी जीत बताया है. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा के मुताबिक, बगैर ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर कांग्रेस ने सदन में जोर-जोर से यह मुद्दा उठाया था और सड़क पर इसको लेकर आंदोलन करने की रणनीति तैयार की थी. यही वजह है कि सरकार ने सदन में इसको लेकर संकल्प प्रस्ताव पेश किया था और अब अध्यादेश वापस लेने का प्रस्ताव कैबिनेट में पास किया गया है.