भोपाल।राजधानी में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया गया. इस दौरान नर्सिंग एसोसिएशन ने कोरोना काल में दिन-रात अस्पतालों में मरीजों की सेवा कर रही नर्सों की मांग को लेकर चिकित्सा मंत्री को ज्ञापन सौंपा हैं और कोरोना संक्रमण के कारण जान गवाने वाली नर्सों को शहीद का दर्जा और सम्मानित किए जाने की भी मांग की है.
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के दौर में प्रदेश के अस्पतालों के नर्स लगातार मरीजों की देखभाल कर रही हैं, लेकिन अस्पतालों में अपनी सेवा देने के दौरान नर्सों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वह इन समस्याओं के निराकरण के लिए लंबे समय से मांग उठा रही हैं. अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर नर्सिंग एसोसिएशन के सदस्यों ने अपनी इन मांगों को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से बात की है और चिकित्सा मंत्री ने उनकी मांगों को जल्द पूरा करने की आश्वासन दिया है.
- नर्सों के साथ हो रहा पक्षपात- एसोसिएशन संभाग अध्यक्ष
मध्य प्रदेश नर्सिंग एसोसिएशन के संभाग अध्यक्ष धनराज नागर ने बताया कि शासन को कई बार मांगों को लेकर अवगत कराया जा चुका है. पहले में भी चिकित्सा शिक्षा मंत्री, शासन, प्रशासन को यह बात बताई गई है, लेकिन अभी तक कोई निराकरण नहीं हुआ है. हमारी मुख्य मांगे नर्सिंग एसोसिएशन के साथ किए जा रहे पक्षपात को लेकर हैं. अन्य राज्यों और केंद्र सरकार के नियम के अनुसार जो पदनाम और वेतन दिए जा रहे हैं, वह मध्य प्रदेश सरकार लागू नहीं कर रही है. इससे कारण प्रदेश की नर्स परेशान हैं.
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- ये हैं नर्सिंग एसोसिएशन की मांगे
शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों और प्रदेश की स्टाफ नर्सों को केंद्र एवं अन्य राज्य की भांति ग्रेड 2, बैंड 1 से बैंड 2 में किया जाए .
भर्ती सेवा नियम में नर्सों को नर्सिंग भत्ता, रात्रि ड्यूटी भत्ता, नान प्रैक्टिस भत्ता, यूनिफॉर्म धुलाई भत्ता, जोखिम भत्ता और आवास भत्ता केंद्र और अन्य राज्यों में लागू नियमों के अनुसार दिया जाए.
सातवें वेतनमान का 1 जनवरी 2016 से 31 मार्च 2018 तक का एरियर दिया जाए.
समान कार्य, समान पद के साथ समान वेतन दिया जाए.
पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए.
सरकारी नर्सिंग कॉलेज में सेवा में रहते हुए उच्च शिक्षा के लिए पाबंधी हटाकर मेल स्टाफ नर्स को भी समान अवसर दिए जाएं, साथ ही मेल नर्स की भर्ती की जाए.
नर्सेज को हॉस्पिटल प्रांगण में ही आवास उपलब्ध कराए जाएं.
नए स्टाफ नर्स भर्ती में प्रथम 3 माह में 10000 रुपए वेतन नियम को हटाया जाए और पूरा वेतन दिया जाए.