भोपाल। वन्यजीव प्राणी प्रेमियों के लिये सुखद खबर मध्यप्रदेश से आई है. जंगलों के सफाइकर्मी कहे जाने वाले गिद्धों की संख्या में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिली है. गिद्द जो लागतार विलुप्त हो रहे हैं, वो अब मध्यप्रदेश मे बढ़ने लगे हैं. पिछले साल की तुलना में इस बार एक हजार गिद्धों की संख्या बढ़ गई है. इसमें मध्यप्रदेश के पन्ना में सबसे अधिक गिद्ध की संख्या बढ़ी है.
प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना 2020-21 के सूर्योदय से प्रात 9 तक प्रदेश के सभी 16 वृत्त एवं 8 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्ध गणना का कार्य वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों सहित डब्लूडब्लूएफ डब्लू आई के प्रतिभागियों के अतिरिक्त स्वयं सेवक एवं फोटोग्राफरों के द्वारा मिलकर किया थी. जिससे शाम तक सभी जिलों से गिद्धों की संख्या के आंकड़े वन विभाग को मिल सके हैं. गिद्धों की संख्या बढ़ने से पर्यावरण प्रमियों में खुशी की लहर है.
हर साल 1 हजार की संख्या में बढ़ रहे गिद्ध
मध्य प्रदेश में प्रदेशव्यापी गिद्ध गणना में हर साल एक हजार की संख्या में गिद्धों की बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. पिछले साल की तुलना में एक हजार की बढ़ोतरी के साथ गिद्धों की संख्या 9,408 तक पहुंच गई है. पिछले साल संख्या 8,397 थी. पिछले 5 साल पहले जब गणना शुरूआत की गई थी, उस समय 7,028 गिद्ध ही मौजूद थे. गिद्ध गणना का कार्य 2 चरणों में होता है. प्रथम चरण अक्टूबर-नवबर माह में एवं द्वितीय चरण जनवरी-फरवरी माह में आयोजित किया जाता है.
कहां कितने गिद्ध हैं ?
- पन्ना - 990
- श्योपुर- 350
- सतना- 474
- मंदसौर- 675
- नीमच- 543
मध्यप्रदेश में हैं 7 प्रजातियों के गिद्ध
भारत की दूसरे राज्य सरकारों की तुलना में मध्यपदेश का वन विभाग ज्यादा उचित कार्रवाई कर रहा है. पृथ्वी के इकोसिस्टम के लिए गिद्ध का होना बहुत जरूरी है. क्योंकि गिद्ध एकमात्र प्राणी है जो सड़े हुए मांस को खत्म करता है. दुनिया में कुल 22 प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं. वहीं भारत में 9 और मध्य प्रदेश में 7 प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं. इनमें से 4 प्रजाति स्थानीय और 3 प्रजाति प्रवासी हैं, जो शीतकाल समाप्त होते ही वापस चली जाती हैं.
ऐसे की जाती है गिद्धों की गणना
गिद्धों की गणना प्रथम चरण में तब की जाती है, जब सभी प्रजाति के गिद्ध घोंसले बनाकर अपने अंडे दे चुके होते हैं या देने की तैयारी मैं होते हैं. इसी प्रकार से फरवरी माह आने तक इन घोंसलों में अंडों से नवजात गिद्ध निकल जाते हैं और वह उड़ने की तैयारी में रहते हैं. इसलिए गिद्धों की गणना करने के लिए शीत ऋतु का अंतिम समय ठीक माना जाता है, ताकि स्थानीय और प्रवासी गिद्धों की समुचित गणना हो जाए.
इन बातों का रखा जाता है ध्यान
गणनाकर्मी और स्वयंसेवक सूर्य उदय के तुरंत बाद प्रथम चरण में चयनित गिद्धों के घौंसलों के निकट पहुंच जाते हैं और घोंसले के आसपास बैठे गिद्धों एवं उनके नवजातों की गणना करते हैं. इसमें इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है कि आवास स्थलों पर बैठे हुए गिद्धों को ही गणना में लिया जाए और उड़ते गिद्धों को गणना में नहीं लिया जाता है. अंतिम चरण में वन विभाग के इस वर्ष कर्मियों के साथ-साथ पूरे प्रदेश के विभिन्न स्थानों से पक्षी विशेषज्ञ छात्र फोटोग्राफर और स्थानीय नागरिक इस गणना में शामिल हुए.