शिमला/भोपाल।हिमाचल प्रदेश साल 2005 में पारछू झील के फटने से आई बाढ़ की त्रासदी को भूला नहीं है. उस समय प्रदेश को कुल 1400 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. सतलुज नदी में भारी बाढ़ आने के कारण भारी तबाही हुई थी. पारछू की तबाही से चिंतित देश और हिमाचल प्रदेश ने बाद में सैटेलाइट के जरिए तिब्बत में बनने वाली कृत्रिम झीलों पर नजर रखने का काम शुरू किया.
इस बार हालांकि तिब्बत में बन रही झीलों में से किसी के फटने के आसार नहीं हैं, लेकिन हिमाचल सतर्क नजर रखे हुए है. सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज हिमाचल प्रदेश हैदराबाद के विशेषज्ञों की सहायता से सैटेलाइट तस्वीरों को खींच कर उसका एनालिसिस करता है. इसमें झीलों के आकार पर नजर रखी जाती है. हाल ही में उत्तराखंड में बाढ़ आई थी. हिमाचल भी लगातार नदियों के बेसिन पर बनने वाली झीलों से चिंता में रहता है.
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लगातार बढ़ रही नदियों के बेसिन पर झीलें
हिमाचल की नदियों के बेसिन पर झीलों की संख्या पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ रही है. सतलुज, रावी और चिनाब इन तीनों प्रमुख नदियों के बेसिन पर ग्लेशियरों के पिघलने से झीलों की संख्या भी बढ़ रही है और उनका आकार भी. पूर्व में जब विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी परिषद के क्लाइमेंट चेंज सेंटर शिमला ने झीलों व उनके आकार का विस्तार से अध्ययन किया था, तब ये खतरे सामने आए तत्कालीन अध्ययन से पता चला था कि सतलुज बेसिन पर झीलों की संख्या में 16 प्रतिशत, चिनाब बेसिन पर 15 प्रतिशत व रावी बेसिन पर झीलों की संख्या में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
जुलाई से सितंबर महीने में सतर्कता बरतना जरूरी
प्रदेश में जुलाई से सितंबर महीने में सतर्कता बरतना जरूरी है. कारण ये है कि हिमाचल ऐसे दुख के पहाड़ को जून 2005 में झेल चुका है. तब तिब्बत के साथ बनी पारछू झील ने तबाही मचाई थी, जिसमें सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. शिमला, मंडी, बिलासपुर व कांगड़ा जिला में बाढ़ ने नुकसान किया था.
हिमाचल में नदियों के बेसिन पर बनी झीलों की संख्या
पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में सतलुज नदी के बेसिन में 2017 में 642 झीलें थीं, जो 2018 में बढ़कर 769 हो गई थीं. इसी तरह चिनाब में 2017 में 220 और 2018 में 254 झीलें बनीं. रावी नदी के बेसिन पर ये आंकड़ा क्रमश: 54 व 66 झीलों का रहा है. इसी तरह ब्यास नदी पर 2017 में 49 व 2018 में 65 झीलें बन गईं. सतलुज बेसिन पर 769 में से 49 झीलों का आकार 10 हैक्टेयर से अधिक हो गया है. कुछ झीलों का क्षेत्रफल तो लगभग 100 हैक्टेयर भी आंका गया. इसी तरह अध्ययन से पता चला कि यहां 57 झीलें 5 से 10 हैक्टेयर तथा 663 झीलें 5 हैक्टेयर से कम क्षेत्र में हैं. हिमालयी रीजन में चिनाब बेसिन पर भी 254 में से चार झीलों का आकार 10 हैक्टेयर से ज्यादा है. इसके अलावा रावी नदी के बेसिन पर 66 झीलों में से 3 का आकार 10 हैक्टेयर से अधिक है.