इंदौर।मध्यप्रदेश में शराबबंदी की मांग को लेकर बार-बार होने वाली सियासत के बीच राज्य में बीयर पीने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालात ये हैं कि प्रदेश में बीयर बनाने वाली आठ कंपनियों का उत्पादन कम पड़ रहा है. प्रदेश में चल रहीं कुल 3500 शराब दुकानों के बाद भी शौकीनों की मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं हो पा रही है. यही वजह है कि प्रदेश में बीयर के शौकीन लोगों के लिए राज्य सरकार अब इस पर इंपोर्ट पर लगने वाली ड्यूटी को घटाने जा रही है. लिहाजा, अब प्रदेश में बीयर के शौकीन देसी के साथ विदेशी बीयर का भी मजा ले सकेंगे. साथ ही उन्हें बीयर आसानी से उपलब्ध हो सकेगी.
एक साल में करीब तीन गुना हो गईं शराब की दुकानें :दरअसल, पिछले साल तक मध्यप्रदेश में शराब की कुल 12 सौ शराब दुकानों पर बीयर की बिक्री हो रही थी. इन दुकानों पर बीयर की मांग 61 फ़ीसदी तक बढ़ गई है. यही वजह है कि सरकार को एक साल में ही दुकानों की संख्या बढ़ाकर 3500 करनी पड़ी है. इसके बावजूद मांग की तुलना में आपूर्ति नहीं हो पा रही है. ये देखकर राज्य सरकार ने अब मध्यप्रदेश में बीयर पर लगने वाले 30 फ़ीसदी आयात शुल्क 10 परसेंट घटाने का फैसला किया है. अब बीयर पर लगने वाला आयात शुल्क बल्क में ₹30 से घटकर ₹20 हो जाएगा. इसी प्रकार वाइन पर आयात शुल्क ₹10 से घटकर ₹5 हो जाएगा.
आबकारी नीति का आदिवासियों पर असर नहीं पड़ने का दावा :पिछले साल आई नई आबकारी नीति में राज्य सरकार ने आदिवासियों को महुआ और ताड़ी की शराब बनाने और बेचने की अनुमति दी थी. लेकिन राज्य सरकार अब जिस तरीके से विदेशी शराब को अप्रत्यक्ष रूप से प्रमोट कर रही है, उसका असर आबकारी नीति पर भी पड़ सकता है. हालांकि सरकार की दलील है कि बीयर पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने से आबकारी नीति में आदिवासियों के लिए किए गए प्रावधान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।