भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा विदिशा के सम्राट अशोक टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (SATI) के संचालक जनार्दन सिंह चौहान की डिग्रियां निरस्त किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. अब इस मामले में SATI विदिशा के पूर्व संचालक डॉ लोकेश बाजपेयी और मैकेनिकल विभाग में प्राध्यापक रहे संदीप जैन ने कार्रवाई में देरी का आरोप बरकतउल्ला विश्वविद्यालय पर लगाया है. उन्होंने आरोप लगाते हुए बताया है कि जब SATI के संचालक जनार्दन सिंह चौहान की डिग्रियां निरस्त कर दी गई हैं, तो अब तक बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी क्यों नहीं की गई है, क्योंकि इस मामले में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद पहले ही अनुशंसा कर चुकी है, लेकिन किसी कारणवश कुलपति इस कार्रवाई में देर कर रहे.
SATI विदिशा के पूर्व संचालक डॉ लोकेश बाजपेयी का कहना है कि 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) नई दिल्ली द्वारा 18 अप्रैल 2017 को सर्वप्रथम बरकतउल्ला विश्वविद्यालय को जनार्दन सिंह चौहान की डिग्रियों की जांच के आदेश दिए गए थे, इसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने कार्रवाई करते हुए 29 सितंबर को हुई कार्यपरिषद की बैठक में जनार्दन सिंह की एमटेक, पीएचडी और एमए की डिग्रियों को निरस्त करने का निर्णय लिया था, इस निर्णय के बाद चौहान की योग्यता किसी भी इंजीनियरिंग महाविद्यालय में संचालक की तो छोड़िए, प्राध्यापक बनने की भी नहीं रह जाती है.'