भोपाल।राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर(NRC) को लागू करने के फैसले से मध्यप्रदेश की विमुक्त घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ जनजातियां अपनी नागरिकता खो सकती हैं. ये जनजातियां राज्य की आबादी का लगभग 7 से 8 प्रतिशत हैं. एनपीआर तैयार करने की प्रक्रिया अप्रैल 2020 से शुरू होगी और असम को छोड़कर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा.जबसे नागरिकता संशोधन कानून 2019 और एनआरसी के मुद्दे ने देश में उथल-पुथल मचाई है. इन समुदायों को अपने लिए दस्तावेज इकट्ठा करने में मानसिक पीड़ा और कठिनाई के दौर से गुजरना पड़ रहा है.
विमुक्त घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभाग के मुताबिक प्रदेश में इन जनजातियों की 51 जातियां है, जिन्हें साल 2012 में आदिवासी विभाग से अलग कर दिया गया था. इसके 7 साल बाद भी विभाग के पास कोई अधिकारिक डाटा नहीं है कि इन समुदायों की कुल जनसंख्या कितनी है, हालांकि, विमुक्त घुमक्कड़ और अर्द्ध घुमक्कड़ जनजाति प्रकोष्ठ और कांग्रेस के अंदाजे के मुताबिक इनकी आबादी प्रदेश में लगभग 60 लाख है, जो कि राज्य की कुल आबादी का 8 फीसदी है.