भोपाल। मध्यप्रदेश में इस बार बिजली की किल्लत नहीं होगी. एमपी की पावर जनरेटिंग कंपनियों को केंद्र की तरफ से 193 मेट्रिक टन कोयला मिला है. जो कि अनुबंधित मात्रा से 83 फीसदी ज्यादा है. इससे माना जा रहा है कि पिछले साल की तरह इस साल बिजली संकट की स्थिति नहीं बनेगी. एमपी पावर जनरेशन कंपनियों के ताप विद्युत घरों के लिए भारत सरकार की कोयला कंपनियां साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, वेस्टर्न कोलफील्ड और नॉर्थन कोलफील्ड से कोयला लेने का अनुबंध किया है.
प्रदेश में प्रति दिन 80 हज़ार टन कोयला चाहिए: प्रदेश की कंपनियों को प्रतिदिन 80 हजार टन कोयले की जरूरत होती है. ताप विद्युत गृहों में यदि कोयले की कमी हो जाती है तो बिजली उत्पादन प्रभावित होता है. पिछले साल गर्मियों में कोयले की कमी के चलते विद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ था. तब सरकार ने विदेशों से कोयला आयात किया था.
उपभोक्ताओं से लिया जाता है: कोयला स्टॉक का पैसा बिजली के टैरिफ निर्धारण में उपभोक्ताओं से 30 दिन के कोयला स्टॉक का पैसा लिया जाता है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मानक के अनुसार प्लांट और कोयला खदान की दूरी 25 किलोमीटर से कम पर 17 दिन का स्टॉक और प्लांट और कोयला खदान की दूरी 25 किलोमीटर से अधिक होने पर 26 दिन का कोयला स्टॉक रखना चाहिए.