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सिजेरियन प्रसव के बाद ठंड में खुले आसमान के नीचे जच्चा-बच्चा के सोने की मजबूरी

कड़ाके की ठंड में सुल्तानिया जनाना अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है. राजगढ़ से आई महिला को सिजेरियन डिलीवरी के तीसरे दिन ही स्टाफ ने उसकी छुट्टी करके बाहर निकाल दिया. जिसके बाद जच्चा और बच्चा ने खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर रहे.

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Published : Jan 1, 2021, 6:47 AM IST

Updated : Jan 1, 2021, 7:05 AM IST

Negligence of Sultania Zanana Hospital
सुल्तानिया जनाना अस्पताल की लापरवाही

भोपाल। राजधानी के सबसे बड़े सुल्तानिया जनाना अस्पताल में अव्यवस्थाएं कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. यहां एक बार फिर प्रसूता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का मामला सामने आया है. राजधानी में कड़ाके की ठंड से लोगों का हाल बेहाल है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने सिजेरियन डिलीवरी के बाद प्रसूता को जबरन अस्पताल से छुट्टी दे दी. जिसके बाद से महिला खुले आसमान के नीचे नवजात को लेकर लेटी रही.

कड़कड़ाती ठंड में प्रसूता को किया बाहर

राजगढ़ के ब्यावरा की निवासी माया पत्नि महेश दांगी की सिजेरियन डिलीवरी के तीसरे दिन ही स्टाफ ने उसकी छुट्टी करके बाहर निकाल दिया. प्रसूता के परिजन कडाके की ठंड़ में जच्चा और बच्चा को लेकर अस्पताल के सामने मैदान में बैठे रहे. यही नहीं परिजनों का आरोप है कि अस्पताल की एक मैडम ने उसकी फाइल फेंकते हुए घर जाने के लिए कहा. प्रसूता के परिजनों का कहना है कि उसके टांके पके होने की बात डॉक्टरों को बताई थी. इसके बावजूद उसकी जबरन छुट्टी कर दी गई. नियम के अनुसार बाहर के मरीज के टांके कटने के बाद ही छुट्टी की जाती है.

स्वास्थ्य होने पर 5 दिन तक इलाज का प्रावधान
सुल्तानिया अस्पताल की एक स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि यदि प्रसूता शहर की रहने वाली है तो उसकी कंडीशन ठीक है तो चौथे पांचवे दिन छुट्टी कर देते हैं. यदि दूसरे जिले की महिला है तो उसके टांके कटने के बाद डिस्चार्ज करते हैं. ऐसे में अस्पताल की ये लापरवाही जच्चा और बच्चा की जान पर भारी पड़ सकती है. इस मामले पर अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

Last Updated : Jan 1, 2021, 7:05 AM IST

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