भोपाल/नई दिल्ली:एनसीईआरटी द्वारा पहली क्लास की हिंदी की पाठ्य पुस्तक में दी गई हिंदी की एक कविता 'आम की टोकरी' को लेकर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है. बता दें कि इस कविता में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों को लेकर विशेष टिप्पणी की जा रही है तो वहीं इसे बाल मजदूरी को बढ़ावा देने वाली कविता कही जा रही है.
वहीं इसको देखकर हिंदी साहित्यकारों का कहना है कि इसमें बाल मजदूरी का कोई तथ्य स्पष्ट नहीं है और जहां तक शब्दों के प्रयोग का सवाल है तो हिंदी को इतना संकुचित नहीं बनाया जा सकता है जिसमें आम बोलचाल में इस्तेमाल की जाने वाले शब्दों को जगह न दी जा सके.
कविता में बालश्रम का तथ्य कहीं स्पष्ट नहीं
वहीं हिंदी पाठ्यपुस्तक की इस कविता को लेकर उठ रहे विवादों पर विराम लगाते हुए दिल्ली के सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत आलोक मिश्रा ने कहा कि इस कविता की भाषा सहज और सरल है. इसमें ऐसा किसी भी शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है जिसकी आलोचना की जा सके. कुछ बातों को लेकर कविता पर टिप्पणी की जा रही है सबसे पहला यह कविता बाल श्रम को बढ़ावा देने वाली है जबकि यदि इस कविता को ध्यान से पढ़ा जाए तो उसमें स्पष्ट है कि एक लड़की आम का भरा टोकरा अपने साथ लेकर जा रही है लेकिन वह आम का दाम नहीं बता रही है जिसका मतलब है हो सकता है कि वह अपने बगीचे से आम तोड़ कर ले जा रही है.