मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

NCERT पहली क्लास की कविता सोशल मीडिया पर वायरल, शिक्षकों ने बताया बेवजह का विवाद

एनसीईआरटी द्वारा पहली क्लास की हिंदी की पाठ्य पुस्तक में दी गई हिंदी की एक कविता 'आम की टोकरी' को लेकर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है. बता दें कि इस कविता में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों को लेकर विशेष टिप्पणी की जा रही है तो वहीं इसे बाल मजदूरी को बढ़ावा देने वाली कविता कही जा रही है.

पहली क्लास की कविता पर विवाद
पहली क्लास की कविता पर विवाद

By

Published : May 22, 2021, 5:01 AM IST

भोपाल/नई दिल्ली:एनसीईआरटी द्वारा पहली क्लास की हिंदी की पाठ्य पुस्तक में दी गई हिंदी की एक कविता 'आम की टोकरी' को लेकर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है. बता दें कि इस कविता में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों को लेकर विशेष टिप्पणी की जा रही है तो वहीं इसे बाल मजदूरी को बढ़ावा देने वाली कविता कही जा रही है.

पहली क्लास की कविता पर विवाद

वहीं इसको देखकर हिंदी साहित्यकारों का कहना है कि इसमें बाल मजदूरी का कोई तथ्य स्पष्ट नहीं है और जहां तक शब्दों के प्रयोग का सवाल है तो हिंदी को इतना संकुचित नहीं बनाया जा सकता है जिसमें आम बोलचाल में इस्तेमाल की जाने वाले शब्दों को जगह न दी जा सके.

कविता में बालश्रम का तथ्य कहीं स्पष्ट नहीं
वहीं हिंदी पाठ्यपुस्तक की इस कविता को लेकर उठ रहे विवादों पर विराम लगाते हुए दिल्ली के सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत आलोक मिश्रा ने कहा कि इस कविता की भाषा सहज और सरल है. इसमें ऐसा किसी भी शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है जिसकी आलोचना की जा सके. कुछ बातों को लेकर कविता पर टिप्पणी की जा रही है सबसे पहला यह कविता बाल श्रम को बढ़ावा देने वाली है जबकि यदि इस कविता को ध्यान से पढ़ा जाए तो उसमें स्पष्ट है कि एक लड़की आम का भरा टोकरा अपने साथ लेकर जा रही है लेकिन वह आम का दाम नहीं बता रही है जिसका मतलब है हो सकता है कि वह अपने बगीचे से आम तोड़ कर ले जा रही है.

पुलिस ने डेढ़ वर्ष के बच्चे का काटा चालान? जाने सच्चाई...

आम बोलचाल के शब्दों का हुआ है प्रयोग
वहीं दूसरा विवाद इस कविता में इस्तेमाल किए गए शब्दों को लेकर है. इस पर प्रकाश डालते हुए सरकारी स्कूल के हिंदी के शिक्षक घनश्याम ने बताया कि देश के कई प्रदेशों में हिंदी बोली जाती है और आम बोलचाल में कई शब्दों का प्रयोग किया जाता है. ऐसे में हिंदी को इतना संकुचित नहीं बनाया जा सकता कि उसमें आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को जगह ना मिले.


शब्द का गलत अर्थ निकालना निंदनीय
इन शब्दों को लेकर उन्होंने उन लोगों की निंदा की जिसने इन शब्दों को अलग अर्थ दिया. वहीं उन्होंने स्पष्ट किया कि कविता की भाषा जितनी सरल होगी बच्चों को उतनी ही अच्छी तरीके से समझ में आएगी. इसलिए बेवजह इस पर टीका टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details