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कान्हा टाइगर रिजर्व के कोर और बफर जोन पर नक्सली कर सकते हैं कब्जा - एमपी में नक्सलियों का मूवमेंट

कान्हा टाइगर रिजर्व के कोर और बफर एरिया में नक्सलियों के विस्तार दल सक्रिय है. जानकारी के मुताबिक इस एरिया को नक्सली बेस कैंप बनाने की तैयारी में है.

Kanha tiger reserve
MP में नक्सली कर सकते हैं कब्जा

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Published : Jan 28, 2021, 10:05 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के बालाघाट और मंडला जिले में लगातार नक्सलियों का मूवमेंट बढ़ता जा रहा है. आए दिन कुछ न कुछ घटनाएं इन जंगलों और आसपास के गांव से सामने आ रही है. हालांकि पिछले दिनों कुछ नक्सलियों को ढेर करने में पुलिस को सफलता मिली है लेकिन इसके बावजूद भी सरकार की चिंता बढ़ गई है. बताया जा रहा है कि कान्हा टाइगर रिजर्व के कोर और बफर एरिया में नक्सलियों के विस्तार दल सक्रिय है. जानकारी के मुताबिक इस एरिया को नक्सली बेस कैंप बनाने की तैयारी में है.

MP में नक्सली कर सकते हैं कब्जा
  • PL2 और PL3 ग्रुप हैं कान्हा के आसपास सक्रिय

नक्सलियों के अलग-अलग ग्रुप होते हैं. PL2 और PL3 ग्रुप में 10 से 12 नक्सली होते हैं. वर्तमान में PL2 और PL3 ग्रुप कान्हा नेशनल पार्क और बफर जोन के आसपास सबसे ज्यादा सक्रिय हैं. जिसमें महिला और पुरुष दोनों ही नक्सली शामिल हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर में पुलिस ने नक्सलियों को लेकर सख्ती बरती है और अच्छा काम किया है, जिसके चलते मध्य प्रदेश के बालाघाट में बस्तर से नक्सली पलायन कर रहे हैं.

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  • एक महीने में तीन नक्सली ढेर

जानकारी के मुताबिक PL2 और PL3 ग्रुप के 90 फीसदी नक्सली बस्तर के ही हैं. बाकी बचे 10 फीसदी नक्सली छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के हैं. इस ग्रुप में मध्य प्रदेश का कोई भी स्थानीय निवासी शामिल नहीं है. कान्हा नेशनल पार्क के आसपास सक्रिय नक्सली ग्रुपों को लेकर पुलिस भी मुस्तैद हो गई है. लगातार इन इलाकों में पेट्रोलिंग की जा रही है. शायद इसी का नतीजा है कि पिछले 1 महीने में पुलिस ने तीन महिला नक्सलियों को मार गिराया है.

  • कान्हा टाइगर रिजर्व ही क्यों?

जानकारी के मुताबिक नक्सलियों के विस्तार दलम ने कान्हा नेशनल पार्क के कोर और बफर एरिया को बेस कैंप बनाने के लिए इसलिए चुना, क्योंकि इस एरिया में काफी घना जंगल है. आम लोगों की आवाजाही भी यहां नहीं रहती है. इसके अलावा यहां पहाड़ी इलाका होने की वजह से मोबाइल टावर या नेटवर्क भी नहीं है. इस एरिया में बाघ और जंगली जानवरों का भ्रमण भी रहता है.

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ऐसी स्थिति में अगर पुलिस इस एरिया में नक्सलियों के ग्रुप को घेर ले तो भी फायरिंग नहीं कर सकती है, क्योंकि फायरिंग में जंगली जानवरों के मरने की भी आशंका बनी रहती है. इन्हीं सुविधाओं को देखते हुए विस्तार दलम ने कान्हा नेशनल पार्क के कोर और बफर जोन को बेसकैंप बनाने की कवायद शुरू की है.

  • छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में सख्ती के बाद बढ़ा एमपी में मूवमेंट

पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के बस्तर और महाराष्ट्र के जंगलों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने नक्सलियों को लेकर काफी सख्ती बरती है. माना जा रहा है कि पुलिस की सख्ती के बाद ही छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से नक्सली मध्य प्रदेश में आ रहे हैं. इससे पहले पुलिस ने जिन दो महिला नक्सलियों को मार गिराया था, यह दोनों भी छत्तीसगढ़ के बस्तर से मध्य प्रदेश में आई थीं. वहीं पुलिस ने कुछ दिन पहले एक नक्सली को गिरफ्तार किया था, जिससे पूछताछ में पता चला था कि नक्सलियों का विस्तार दलम कान्हा नेशनल पार्क के बफर जोन और कोर एरिया में बेसकैंप बनाने की तैयारी कर रहा है.

  • ऐसे खतरा बन रहे नक्सली
  1. कोर जोन में आम लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित होने से नक्सलियों से जुड़ी सूचनाएं नहीं मिल पाती है.
  2. कोर जोन में नियमित सर्चिंग नहीं होती है, जिससे यह सुरक्षित ठिकाना बन गया है.
  3. नक्सलियों के डर से पार्क प्रबंधन का अमला भी उनके रास्ते से किनारा कर लेता है.
  4. इसके अलावा कान्हा नेशनल पार्क में आए दिन नेता उद्योगपति, फिल्मी सितारे, खिलाड़ी और बड़े अधिकारियों का आना जाना लगा रहता है. नक्सलियों की मौजूदगी कभी भी इनके लिए बड़ा खतरा बन सकती है.

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