भोपाल: यह जानकर शायद आपको विश्वास नहीं होगा कि किसी मुस्लिम रियासत की महिला शासक ने 19वीं सदी की शुरुआत में ही महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया और नई तकनीक के साथ-साथ सामाजिक जीवन में सौहार्द लाने के लिए कई तरह के समाज सुधार किए. जी हां हम बात कर रहे हैं भोपाल की महिला शासक नवाब सुल्तान जहां बेगम की. जिन्होंने 19वीं सदी की शुरुआत में भोपाल रियासत पर राज करते हुए ना सिर्फ महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया. बल्कि महिलाओं में हुनर आए, इस पर भी जोर दिया. खास बात यह है कि सिर्फ फारसी भाषा की जानकार होने के बावजूद उन्होंने करीब 26 किताबें लिखीं, जिसमें उन्होंने पारिवारिक रिश्तों के अलावा आपसी संबंधों पर काफी कुछ लिखा. यहां तक कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में सर सैयद अहमद खान की विशेष मदद की और उसका नतीजा ये हुआ कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना पर उन्हें संस्थापक कुलाधिपति बनाया गया और आजीवन वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति रहीं. भोपाल रियासत की शासक को सुल्तान जहां बेगम को एक समाज सुधारक और महिलाओं को आगे बढ़ाने वाली शासक के रूप में देखा जाता है.
कौन थी सुल्तान जहां बेगम और कब तक किया भोपाल पर राज
19 वीं शताब्दी की शुरुआत से अप्रैल 1926 तक भोपाल रियासत की बेगम नवाब रही सुल्तान जहां बेगम का जन्म 9 जुलाई 1858 में हुआ था. उन्होंने 16 जून 1901 से लेकर 20 अप्रैल 1926 तक भोपाल रियासत पर राज किया. उन्हें भोपाल की समाज सुधारक और प्रगतिशील नवाब बेगम के रूप में जाना जाता है. करीब 25 साल के शासनकाल में उन्होंने जहां महिला शिक्षा पर जोर दिया. तो महिलाओं को हुनरमंद बनाने के लिए कई तरह के आयोजन और प्रतियोगिताएं की. इसके अलावा भोपाल में कई तरह के प्रयोग कर भोपाल को समृद्ध बनाने की कोशिश की. खुद ज्यादा पढ़ी लिखी ना होने के बावजूद उन्होंने महिला शिक्षा के महत्व को समझा और भोपाल में कई स्कूल खोले और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में विशेष योगदान दिया. महिला शिक्षा के साथ-साथ सिलाई कढ़ाई जैसे हुनर भी सिखाए.
इतिहासकार नवाब सुल्तान जहां बेगम को एक समाज सुधारक और शिक्षाविद के रूप में याद करते हैं. खासकर मुस्लिम रियासत भोपाल में 19वीं सदी की शुरुआत में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों का निर्माण करने के अलावा महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई जैसे हुनर सीखने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदर्शनी और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया.
ज्यादा पढ़ी-लिखी ना होने के बावजूद फारसी भाषा में लिखी करीब 26 किताबें
सुल्तान जहां बेगम के लिए पढ़ाई के नाम पर सिर्फ फारसी भाषा का ज्ञान था, उन्होंने अपने जीवन काल में करीब 26 किताबें लिखी महिलाओं से जुड़े मुद्दे पारिवारिक संबंध और परिवार के अंदर आपसी संबंधों को लेकर उन्होंने कई ऐसी किताबें लिखी जो समाज और परिवार के लिए नजीर बनी.