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सीएम शिवराज के सामने बड़ा पावर सेंटर बने नरोत्तम मिश्रा

मध्यप्रदेश की राजनीति में कैबिनेट मंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा का कद लगातार बढ़ता जा रहा है और उसके पीछे का कारण है बीजेपी सरकार बनाने की मेहनत, यही वजह है कि नरोत्तम मिश्रा की कवायद को कोई भूल नहीं सकता.

Shivraj Singh and Narottam Mishra
शिवराज सिंह और नरोत्तम मिश्रा

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Published : Jun 8, 2020, 2:41 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में 13 साल मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के सामने एक ताकतवर नेता के रूप में नरोत्तम मिश्रा आए हैं. जानकारों की मानें तो इन दिनों शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा दोनों जिस तरीके से बयानों और बातचीत में अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं, दोनों की इस प्रेजेंटेशन से ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में 2 पावर सेंटर बन गए हैं. शायद यही वजह है, केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर दोनों नेताओं ने मुलाकात कर एकजुट होने का संदेश दिया है.

राजनीतिक विशलेषक
दरअसल, मध्यप्रदेश की राजनीति में नरोत्तम मिश्रा का कद लगातार बढ़ता जा रहा है और उसके पीछे का कारण है, बीजेपी सरकार बनाने की पृष्ठभूमि. सत्ता बनाने में भले ही ऑपरेशन लोटस मिशन-1 सफल ना हो पाया हो, लेकिन इसी ऑपरेशन ने ऑपरेशन लोटस-2 की आधारशिला रखी थी. यही वजह है कि नरोत्तम मिश्रा की मेहनत को कोई भूल नहीं सकता, चाहे बीजेपी हो या संघ हो. सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से जिस तरह डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान अपने बयानों और बातचीत के जरिए अपने आपको रिप्रेजेंट कर रहे थे. उससे कहीं ना कहीं ये संदेश जा रहा था कि मध्यप्रदेश बीजेपी की राजनीति में दो पावर सेंटर हैं. जिसमें एक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और दूसरे अघोषित डिप्टी चीफ मिनिस्टर डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा, जिसकी खबर लगते ही केंद्रीय नेतृत्व ने ये संदेश दिया होगा कि आप दोनों एक जुटता दिखाएं, अन्यथा आने वाले समय में कैबिनेट विस्तार हो, राज्यसभा का चुनाव हो या उपचुनाव इन तीनों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ब्रेकफास्ट के बहाने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिलने उनके निवास पहुंचे और ये संदेश दिया कि हम सभी एक हैं और सहज-सरल, एक दूसरे से मुलाकात भी करते रहते हैं.अब देखना ये है कि इन दोनों नेताओं की एकजुटता कितनी कारगर साबित होती है, क्योंकि आने वाले समय में मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. ऐसे में सत्ता परिवर्तन में सबसे बड़ा सहयोग करने वाले सिंधिया समर्थक विधायकों को शामिल करना है, तो वहीं दूसरी तरफ नरोत्तम मिश्रा भी अपने आप को और ताकतवर बनाकर सत्ता में अपनी हिस्सेदारी बनाना चाहते हैं.

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