भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव अब तीन महीने बाद होंगे. हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के फैसले के बाद राज्य सरकार इसके कानून पहलुओं का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है. हालांकि नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने साफ किया है कि इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम तीन माह का वक्त लगेगा. संभावना जताई जा रही है कि नगरीय निकाय चुनाव के पहले पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं.
- हाइकोर्ट के फैसले के बाद बदली स्थिति
निगरीय निकाय चुनाव के टलने की स्थिति हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के फैसले के बाद बनी है. महापौर, नगर पालिका और नगर परिशद अध्यक्ष पद पर की गई आरक्षण प्रकिया के खिलाफ मानवर्धन सिंह तोमर की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में रखी है. उधर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार अब इस मामले में कानूनी राय ले रही है. राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है.
- दो से तीन महीने का लगेगा वक्त
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने साफ किया है कि इस पूरी प्रक्रिया में दो से लेकर तीन माह का वक्त लगेगा. इस बीच विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायकों ने मतदाता सूची के पुर्नरीक्षण को लेकर भी सवाल उठाए. कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने विधानसभा में इसको लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान कई लेागों को छोड़ दिया गया. इसको लेकर बीजेपी के भी कुछ विधायकों ने सवाल उठाए.
- कोर्ट के फैसले से बीजेपी को राहत
देखा जाए तो कोर्ट के फैसले से बीजेपी का राहत मिली है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा बंगाल चुनाव में बीजेपी के स्टार प्रचारक हैं. इसी तरह अरविंद भदौरिया, विश्वास सारंग को भी बीजेपी ने विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी है. कोर्ट के फैसले से बीजेपी को निकाय चुनाव के लिए आगे समय मिलेगा.
- कोरोना और एक्जाम को लेकर भी समस्या