भोपाल।मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के निलंबन के विरोध में कांग्रेस, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई, जिस पर आज शुक्रवार को फैसला हो सकता है (MP Budget session 2023). तो वहीं संविधान की किताब फाड़ने पर सज्जन वर्मा के साथ विजय लक्ष्मी साधो के खिलाफ भी विशेषाधिकार हनन की सूचना आनी है. हालांकि इन दोनों पर फैसला विधानसभा को लेना है. विधानसभा प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि 14 दिन शुक्रवार को पूरे हो रहे हैं, और विशेषाधिकार हनन पर फैसला अध्यक्ष को लेना है.
माफी मांग चुके हैं नरोत्तम मिश्रा: विधानसभा के नियमों के मुताबिक, यदि सत्र समाप्त होने के पहले अविश्वास प्रस्ताव सदन में स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए प्रस्तुत नहीं होता है या फैसला नहीं हो पाता है तो वह शून्य हो जाएगा. लेकिन विशेषाधिकार हनन की सूचना अस्तित्व में रहेगी. इसे विशेषाधिकार समिति को सौंपे जाने का निर्णय कभी भी लिया जा सकता है. वहीं कांग्रेस ने संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन की सूचना दी है, वो भी विचाराधीन है. हालांकि नरोत्तम मिश्रा पहले ही माफी मांग चुके हैं.
गलत कहा तो इस्तीफा देने को तैयार-भनोट: अनुपूरक बजट के दौरान पक्ष और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप के दौर चलते रहे. विपक्ष ने सरकार को फिर कर्ज लेने के मुद्दे पर घेरा, सदन में चाहे बजट पर चर्चा रही हो या फिर अनुपूरक बजट पर इन मुद्दों पर विपक्ष का निशाना सरकार के लगातार कर्ज लेने पर था. तरुण भनोट ने तो सदन के अंदर यह भी कह दिया कि यदि वह गलत बोल रहे हैं तो उनका इस्तीफा ले लिया जाए.
जीतू पटवारी की तरह भनोट झूठ न बोलें-सारंग:कांग्रेस विधायक तरुण भनोत ने आरोप लगाए कि ''रिजर्व बैंक आफ इंडिया लगातार चेतावनी दे रहा है कि मध्य प्रदेश हिंदुस्तान के प्रथम पांच राज्यों में है जहां कभी भी फाइनेंशियल इमरजेंसी लगानी पड़ सकती है''. भनोट के बयान पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, आरबीआइ ने कहां बोला है, भनोत ने कहा- मैं तो आरबीआई का कागज दे दूंगा. सारंग ने कहा-आप जीतू पटवारी जैसा मत करो. सदन में इस तरह की बातें मत करो. भनोत ने कहा-''अध्यक्ष महोदय, अगर पटल यह कागज कल (शक्रवार) मैं आपको न दे दूं तो मेरी विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दीजिएगा. आज प्रदेश कर्ज में डूबा हुआ है. विभागों को बजट में प्रविधान होने के बाद राशि नहीं दी जा रही है, पूंजीगत व्यय बहुत कम है''.