भोपाल। अकेले सफर पर निकली किसी महिला की सबसे बड़ी फिक्र क्या हो सकती है. यही ना कि शुभ हो ना हो...उसकी यात्रा सुरक्षित कैसे होगी. आप कल्पना कीजिए कि मध्य प्रदेश में रात दो बजे आप किसी शहर के स्टेशन पर उतरें और आपके लिए एक महिला ड्राइवर की टैक्सी तैनात हो....आप नाव में अकेले सवारी का लुत्फ उठा रही हों ...और वहां भी आपकी नाव की पतवार किसी महिला के हाथ में हो...मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहां अब पर्यटन सखियों के साथ महिला सैलानियों को सुरक्षित और सुकून दायक सफर करवाया जाएगा...मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग के इस प्रोजेक्ट की पंच लाइन भी इसे बयां करती है, अब दिल से देखो हिंदुस्तान का दिल...
लड़कियों को काम के लिए बाहर निकालना चुनौती:मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के साथ काम कर रही संस्था संगिनी की प्रमुख प्रार्थना मिश्रा का कहना है कि पर्यटन सखी बनाए जाने तक का रास्ता भी आसान नहीं. भोपाल जैसे शहर में जब हमने संपर्क किया अलग-अलग क्षेत्रों में ट्रेनिंग के लिए लड़कियों को बुलाया तो कुछ ही दिन में संख्या एक पर पहुंच गई. असल में युवतियों महिलाओं की प्राथमिकता अब घर बैठे काम की है. प्रार्थना कहती है ये उस शहर की बात कर रही हूं जहां पढ़ा लिखा तबका रहता है.
कौन हैं ये पर्यटन सखी:महिला बाल विकास मंत्रालय के निर्भया प्रोजेक्ट के तहत मध्यप्रदेश में ये पर्यटन सखी की शुरुआत की गई. जहन में थी वो सोलो ट्रेवलर वो महिलाएं जो अकेले कहीं सफर पर निकलती हैं. मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग के इस प्रोजेक्ट के पीछे भी एक महिला साथी का अनुभव जमीन बना. मार्च 2025 तक के इस प्रोजेक्ट के लिए केन्द्र सरकार की ओर से 30 करोड़ की राशि निश्चित की गई है. पर्यटन सखी वो भरोसेमंद साथ है जो किसी भी यात्रआ के दौरान महिला सैलानियों को ये अहसास कराता है कि वो किसी अनजान शहर और जगह पर होते हुए भी सुरक्षित हैं. असल में देश विदेश से आने वाली महिला पर्यटकों के साथ हुई हिंसक घटनाओं के बाद इस तरह से पर्यटन सखी की जरुरत महसूस हुई. इसके लिए 100 से अधिक संस्थाओं और प्रोफेशनल्स को एमपीटी ने अपने साथ जोड़ा.