भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के बीच 21 सितंबर से स्कूल खुल चुके हैं और आधे स्टाफ स्कूल आ रहे है. वहीं स्कूल शिक्षा विभाग ने 'हमारा घर- हमारा विद्यालय' अभियान शुरू किया है, जिन इलाकों के बच्चे स्कूल नहीं आ सकते, वहां शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. जिसका अब विरोध शुरू हो गया है. साथ ही शिक्षकों ने मांग की है कि, उन्हें भी कोरोना योद्धा का सम्मान दिया जाए.
शिक्षकों का कहना है कि, उन्हें शिक्षा विभाग से आदेश जारी हुआ है कि, वे स्कूल में पढ़ाए या ऑनलाइन पढ़ाए या फिर 'हमारा घर- हमारा विद्यालय' अभियान के तहत घर-घर जाकर शिक्षा दें. ऐसे में कोरोना संक्रमण के बीच इस तरह शिक्षकों के बाहर फिल्ड पर काम करने से कोरोना फैलने का खतरा बढ़ जा रहा है.
शिक्षकों ने रखी अपनी बात
शिक्षकों का कहना है कि, कोरोना महामारी के बीच शिक्षकों ने कोरोना योद्धा की तरह काम किया, बावजूद इसके शिक्षक दिवस पर उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला. उन्होंने कहा कि, जिस तरह डॉक्टर, पुलिस, पत्रकार, कोरोना महामारी के बीच फील्ड पर काम करते रहे, उसी तरह शिक्षकों ने भी स्कूलों के कार्यो के अलावा अन्य गैर शैक्षणिक कार्य किए. शिक्षकों की रेलवे में ड्यूटी लगाई गई, जनगणना में ड्यूटी लगाई गई, प्रदेशभर के कोरोना मरीजों की काउंसलिंग और कॉल सेंटर पर बैठकर लोगों की बीमारी की जानकारी जुटाने सहित अन्य कार्य शिक्षकों ने किए. ऐसे में शिक्षकों का आरोप है कि, कोरोना संक्रमण के बीच 50 शिक्षकों की कोरोना के चलते मृत्यु हो गई, उनको कोरोना योद्धा का सम्मान भी नहीं मिला.