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Mp Seat Scan Berasia: सीट बनते ही काबिज हुई जनसंघ, सिर्फ 2 बार ही बना कांग्रेस का विधायक, लेकिन अब भी हिंदुत्व के आगे बौना

Berasia Vidhan Sabha Seat: भोपाल में कुल 7 विधानसभा सीट हैं, इनमें बैरसिया शेड्यूल कास्ट यानी अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. इस विधानसभा में अब तक कुल 14 बार चुनाव हो चुके हैं और सिर्फ दो बार कांग्रेस जीती, लेकिन इस बार मामला अलग है. कांग्रेस अपनी हारी हुई प्रत्याशी काे रिपीट करने की तैयारी में है और दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने कमान संभाल ली है. ऐसे में भाजपा के सामने लीड बढ़ाने की तो कांग्रेस के सामने लीड खत्म करने की चुनौती है. आइए समझते हैं कि आखिर बैरसिया विधानसभा का ऊंट किस करवट बैठ सकता है और इसका गणित क्या है?

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Published : Aug 9, 2023, 4:43 PM IST

Berasia Vidhan Sabha Seat
बैरसिया विधानसभा सीट

भोपाल। बैरसिया विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की विधानसभा में 149 नंबर की सीट है, जो कि भोपाल जिले में स्थित है। यहां से वर्ष 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. भारतीय जनता पार्टी के विष्णु खत्री ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की जयश्री हरिकरण को 13 हजार वोटों के मार्जिन से हराया था, 2018 में बैरसिया में कुल 48 प्रतिशत वोट पड़े थे. अब इसी अंतर पर कहानी अटकी है और यही आंकड़ा चिंताजनक है, क्योंकि इसके पहले यानी 2013 में 29 हजार से अधिक मत भाजपा को मिले थे.

भाजपा का दावा है कि उन्होंने क्षेत्र में जो विकास कार्य किए हैं, उसके दम पर वे इस बार भी विजयश्री प्राप्त करेंगे. जबकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों की हालत खराब है और रोजगार के लिए कोई बड़े प्रयास नहीं होने से युवाओं में नाराजगी है, ऐसे में भाजपा की हार तय है. इन दावों की हकीकत जानने के लिए क्षेत्र के मुद्दों पर फोकस किया तो पता चला कि नाराजगी तो है, लेकिन क्षेत्र में हिंदुत्व की तगड़ी लहर है, जिसके कारण कांग्रेस का हर दांव फैल हो जाता है. यही कारण है कि जयवर्धन अपनी राघौगढ़ सीट से आने-जाने का रास्ता बैरसिया बना लिया है और वे लगभग पूरी विधानसभा कई बार नाप चुके हैं.

बैरसिया विधानसभा का 2018 का रिजल्ट

बैरसिया क्षेत्र की खासियत:कृषि कार्य अच्छा है, कई स्टॉप डेम बने हुए हैं, जंगल का बड़ा एरिया इनके पास है, जहां इंडस्ट्री क्लस्टर बनाने की घोषणा कर दी गई है. टूरिज्म के हिसाब से बैरसिया की तरावली वाली माता और जगदीशपुर एक बड़ा पर्यटन क्षेत्र है, नवाबों का शासन यहां रहा है. अब विदिशा और गुना के लिए यहीं स लोग यात्रा करते हैं, इसलिए व्यापार बढ़ रहा है.

बैरसिया का राजनीतिक इतिहास:मप्र गठन के बाद वर्ष 1957 में चुनाव हुए तो कांग्रेस ने भगवान सिंह को टिकट दिया. वे विजयी होकर सदन पहुंचे, लेकिन क्षेत्र में हिंदुत्व की लहर थी, इसीलिए वर्ष 1962 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के भैया लाल विधायक चुने गए. इसके बाद जब जनसंघ बनी तो वर्ष 1967 के चुनाव में लक्ष्मीनारायण शर्मा ने जीत दिलाई, अगली बार किसी कारण से लक्ष्मीनारायण शर्मा को टिकट नहीं दिया और उनके स्थान पर 1972 में गौरी शंकर कौशल को भारतीय जनसंघ ने चुनाव लड़ाया और वह विजयी रहे. हिंदुत्व विचारधारा की जीत का सिलसिला यही नहीं रुका, वर्ष 1977 में जब जनता पार्टी बनी तो गौरी शंकर कौशल को दोबारा चुनाव में उतारा और वे फिर से विजयी रहे. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ और वर्ष 1980 में टिकट मिला लक्ष्मीनारायण शर्मा को इसके बाद लक्ष्मीनारायण शर्मा ने लगातार 1993 तक यानी चार बार विधायकी भाजपा को जिताई.

बैरसिया का राजनीतिक समीकरण

कांग्रेस की जीत का सूखा खत्म हुआ वर्ष 1998 में जब टिकट जोधाराम गुर्जर को दी गई, उन्होंने जीतकर कांग्रेस को मजबूत करना शुरू कर दिया. दरअसल उनकी यह जीत पिछड़ा वर्ग के वोटों के संगठित होने से हुई, भाजपा ने जब सीन बदलते देखा तो वर्ष 2003 में ठाकुर प्रत्याशी भक्तपाल सिंह को टिकट दिया, जो कि पिछड़ा पर अच्छी खासी पकड़ रखते थे, जबकि कांग्रेस ने इस बार ब्राम्हण को टिकट दिया और परिणाम भक्तपाल सिंह जीत गए. लेकिन वर्ष 2008 में सीट रिजर्व हो गई और भाजपा ने आरक्षित वर्ग के ब्रह्मानंद रत्नाकर को पहली बार टिकट दिया, उन्होंने कांग्रेस के हीरालाल को 23,076 वोटों से हराया. इसके बाद भी वर्ष 2013 में भाजपा ने चेहरा बदलकर विष्णु खत्री को पहली बार टिकट दिया और वे कांग्रेस के महेश रत्नाकर को 29,304 वोटो से हराकर विधानसभा पहुंचे, इस बार भाजपा ने विष्णु खत्री पर फिर से भराेसा जताया और 2018 में टिकट दिया. इस बार भी विष्णु खत्री कांग्रेस की जयश्री किरण को हराकर विधायक तो बने, लेकिन उनकी लीड घटकर 13,779 ही रह गई.

सीट स्कैन से जुड़ी कुछ और खबरें यहां पढ़ें:

बैरसिया का जातीय समीकरण:बैरसिया में भले ही भाजपा और कांग्रेस ने ब्राम्हण प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं, लेकिन इनकी संख्या यहां करीब 5 हजार है. जबकि सबसे अधिक संख्या दलितों की है, जिसमें शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब मिलाकर 50 हजार वोटर्स हैं. इनके बाद सबसे बड़ी संख्या करीब 35 हजार गुर्जराें की हैं, अभी भोपाल जिला पंचायत अध्यक्ष और बैरसिया जनपद अध्यक्ष दोनों ही गुर्जर हैं. वहीं तीसरे नंबर पर मीणाओं की जनसंख्या करीब 25 हजार है, इनके अलावा राजपूत भी 15 हजार से अधिक बताए जाते हैं और कुशवाह भी 10 हजार हैं. मुस्लिम समाज की बात करें तो इनके 10 से अधिक वोट हैं.

बैरसिया में मतदाताओं की संख्या:इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या 2 लाख 11 हजार 10 है, इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 11 हजार 309 और महिला मतदाता 99 हजार 694 हैं. जबकि थर्ड जेंडर 7 हैं, कुल 266 मतदान केंद्र पर वोटिंग होती है.

बैरसिया में मतदाताओं की संख्या

बैरसिया के स्थानीय मुद्दे:इस पूरे विधानसभा क्षेत्र को देखें तो यह करीब भोपाल को विदिशा, राजगढ़ और गुना को जोड़ता है. यहां सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है, क्योंकि इतने बड़े इलाके में अभी कोई भी बड़ा इंडस्ट्री एरिया नहीं है, ज्यादातर आबादी किसान है और कृषि कार्य पर निर्भर है. इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाएं यहां की बड़ी समस्या है, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डिलीवरी तक की व्यवस्थाएं नहीं है. तीसरी समस्या पानी की है, नल जल योजना तो पंचायत तक पहुंच गई, लेकिन इनमें पानी अब तक शुरू नहीं हुआ. बैरसिया नगर एकमात्र जगह है, जहां थोड़ा व्यापार चलता है.

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