भोपाल। सीबीएसई स्कूलों में कक्षा 6वीं की मॉरल साइंस बुक 48 पेज की हैै और इसका रेट 68 रुपए है, जबकि प्रिंटिंग कॉस्ट महज 25 रुपए है. वहीं इसी कक्षा की 168 पेज वाली हिन्दी पुस्तक की कॉस्ट 439 रुपए लिखी गई है, जबकि इसकी प्रिंटिंग कॉस्ट भी महज 135 रुपए है. इसी साल की 136 पेज वाली कंप्यूटर बुक का रेट 496 रुपए रखा गया है और इसकी प्रिंटिंग कॉस्ट भी 118 रुपए प्रति पुस्तक आ रही है. ऐसे ही 72 पेज वाली जीके बुक का रेट 290 रुपए रखा है और बुक प्रिंटर्स ने इसकी कॉस्ट 80 रुपए बताई है. यह तो सिर्फ उदाहरण मात्र हैं और शहर के दो बड़े प्रतिष्ठि स्कूलों के ही हैं, ऐसा हाल हर स्कूल में है और सभी किताबों के दाम तीन गुना हैं. यानी मार्जिन निकालने के बाद भी लगभग दोगुनी कीमत में पुस्तक बेची जा रही हैं.
सीबीएसई स्कूलों को आदेश की परवाह नहीं:यह रेट सामने लाने के लिए ईटीवी भारत ने शहर के दो बड़े स्कूलों की किताबों की पेज संख्या, क्वालिटी जब प्रिंटर्स को बताई तो उन्होंने बताया कि यह तो प्रिंटिंग कॉस्ट से तीन गुना है. कमाल की बात यह है कि इस मामले में स्कूल प्रशासन भी कोई एक्शन लेने को तैयार नहीं है, एक और बड़ी बात यह सामने आई कि जितनी किताबें खरीदने के लिए कहा जाता है, उसमें कई इस्तेमाल नहीं होती है. यह हाल तब है, जबकि 7 मार्च को जिला प्रशासन ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि यदि कोई स्कूल अभिभावकों को एक निश्चित दुकान से कापी-किताब खरीदने या गणवेश लेने के दबाव बनाएगा तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन सीबीएसई स्कूल इस आदेश की परवाह नहीं कर रहे हैं।.