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समलैंगिक विवाह को लेकर MP का संत समाज नाराज,आंदोलन की चेतावनी - समलैंगिक विवाह को लेकर विरोध

समलैंगिक विवाह को लेकर मध्यप्रदेश के संत समाज ने भी विरोध व्यक्त किया है. संत समाज का कहना है कि भारतीय सनातन संस्कृति के विपरीत हैं ऐसे विवाह. संत समाज का कहना है कि अभी हम लोग अनुरोध कर रहे हैं. अगर अनुरोध नहीं माना गया तो हम लोग आंदोलन भी करेंगे.

MP Sant Samaj angry over same sex marriage
समलैंगिक विवाह को लेकर MP का संत समाज नाराज

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Published : Apr 29, 2023, 8:04 PM IST

समलैंगिक विवाह को लेकर MP का संत समाज नाराज

भोपाल।समलैंगिक विवाह को लेकर देशभर में छिड़े आंदोलन को अब संतों का साथ मिल रहा है. एमपी में संत समाज अब इसके खिलाफ आवाज़ उठा रहा है. भोपाल में जुटे अखिल भारतीय संत समिति ने आशंका जताई कि इस पर अगर कानूनी मुहर लग गई तो देश की संस्कृति पर बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. सबसे बड़ी बात ये है कि सनातनी परंपरा के प्रतिकूल होने के साथ प्रकृति के विपरीत है. ऐसे समाजविरोधी कामों का विरोध हर मंच पर होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया :अखिल भारतीय संत समिति के प्रदेश प्रवक्ता और उदासीन अखाड़े के महंत अनिलानंद महाराज ने कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करते हैं कि समलैंगिकों के विवाह पर कानूनी मुहर नहीं लगनी चाहिए. देश के अलग-अलग वर्गों में समलैंगिक विवाह के विरोध में उठ रही आवाजों में अब संत समाज के सुर भी शामिल हो गए हैं. अखिल भारतीय संत समिति के बैनर पर साधु-संत भी इसके विरोध में उतर आए हैं. अनिलानंद महाराज का कहना है कि यदि इसे वैधानिक किया जाता है तो देश की संस्कृति पर संकट खड़ा हो जाएगा.

समलैंगिक विवाह प्रकृति से छेड़छाड़ :संत समाज का कहना है कि ये विकृति समाज के निर्माण की नींव बन जाएगा. प्रकृति से छेड़छाड़ है ये. उन्होंने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ का क्या नतीजा होता है ये हम देख रहे हैं कि बैसाख में सावन आ गया है. संत समाज ने देश की सर्वोच्च अदालत से अनुरोध किया है कि ऐसा फैसला ना लिया जाए. जिस तरह से पूरे देश में समलैगिक विवाह को लेकर समाज के अलग-अलग वर्गों से विरोध के स्वर उठे हैं. उसे देखते हुए ऐसे समाज विरोधी काम की निंदा की जानी चाहिए.

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संतों को आगे आना पड़ेगा :संत समाज तो संस्कार स्थापित करने वाला है तो अहम प्रतिक्रिया तो उसी की होगी. क्योंकि ये निर्णय हमारे समाज की संस्कार संस्कृति को प्रभावित करने वाला होगा. अखिल भारतीय संत समिति के संत अभी इस विषय़ पर लंबे आंदोलन के लिए रणनीति बना रहे हैं. सभी संत समलैंगिक विवाह को लेकर मुखर हैं. अगर ये मामला आगे बढ़ा तो पूरे समाज को एकजुट होकर विरोध में खड़ा होना पड़ेगा.

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