भोपाल।कांग्रेस सरकार मे मंत्री रहे उमंग सिंघार के आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बयान पर सियासी बवाल खड़ा होने लगा है. आदिवासी चेहरे के बयान पर सियासत भी तेज हो गई है, हालांकि कांग्रेस ने उनके बयान पर चुप्पी साध ली है. चूंकि आदिवासियों से जुड़ा मामला है और संवेदनशील भी है, लिहाजा कांग्रेस इस मामले पर बोलने से बच रही है. बल्कि बीजेपी पर निशाना साधते हुए कह रही है की 18 साल से बीजेपी सरकार में है, बीजेपी आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती आई है, बीजेपी को आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए था.
एमपी में आदिवासी वोट बैंक निर्णायक:एमपी में 22 फीसदी आदिवासी हैं. जिस पार्टी की तरफ ये वोट बैंक चला गया, उसकी सरकार बना तय माना जाता है. 2018 के चुनाव को छोड़ दें, तो 2003 से लेकर 2013 के विधानसभा चुनावों में ये आदिवासी वोटर बीजेपी के साथ आया था और बीजेपी को इसने पसंद किया. लेकिन 2018 में आदिवासी ने फिर कांग्रेस को पसंद किया. कमलनाथ छिंदवाड़ा से आते हैं, उनका क्षेत्र भी आदिवासी बाहुल्य है. वहीं, इस बार आदिवासियों को रिझाने के लिए मोदी ने आदिवासी गौरव दिवस के दिन अवकाश का ऐलान किया और आदिवासियों के लिए कई और नई योजनाएं लॉन्च की.
कौन हैं उमंग सिंघार:सिंघार पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस की कद्दावर नेता जमुना देवी के भतीजे हैं. उमंग ने राजनीति बुआ जमुना देवी से सीखी है उनके निधन से पहले ही उमंग राजनीति में कदम रख चुके थे.