भोपाल। फूल सिंह बरैया पार्टी भले बदलते रहे हों लेकिन तेवर कभी नहीं बदले. बसपा से कांग्रेस में आने के बाद बरैया बरैया ही रहे. अमुमन चुनाव के आस पास ही बरैया के बोल बवाल बनते हैं. इस बार भी चुनावी साल लगते ही उनका दावा आया कि अगर बीजेपी एमपी में पचास सीटें भी ले आए तो वो राजभवन के सामने अपने हाथों से अपना मुंह काला कर लेंगे. अब ऊपर ऊपर भाजपाई भले कहते रहें कि अंगूर खट्टे हैं, लेकिन सुना तो ये है कि बीजेपी संगठन में वाकई इसे लेकर चिंता है कि बरैया का पचास सीटों का दावा गलत भी हो तो आसान तो नहीं है.
बीजेपी की निगाहें चुनावी कसावट: इस चुनाव में डगर पनघट की उधर बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति में पीएम मोदी का एमपी को लेकर दिया गया उदाहरण भी काबिल ए गौर है. जिसमें एमपी में हुए 1998 के विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने नेताओं को किसी ओव्हकॉन्फिडेंस में ना रहने की सलाह दी है. सियासी गलियारों में सवाल ये है कि एमपी का ही उदाहरण क्यों दिया गया. अब एमपी बीजेपी में निगाहें इस पर है कि चुनावी कसावट के लिए पार्टी इसी टीम से काम चलाएगी. या बीजेपी संगठन में जीत का मंतर फूंकने नए चेहरों पर लगाया जाएगा दांव.
बिसेन को गुस्सा क्यों आयाइन दिनों बीजेपी की राजनीति मेंपूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन के गुस्से के बड़े चर्चे हैं. आरटीओ की लू उतारता उनका जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. क्या बिसेन की गुस्से की वजह केवल ट्रैफिक का मामला ही है या कुछ और, इन दिनों हर बात पर भड़क रहे बिसेन के गुस्से की मूल वजह भी तलाशी जा रही है. जानकार ये बता रहे हैं कि, साहब का ये जो फ्रस्ट्रेशन है इसकी जड़ कहीं ओर है. वो ये है कि बिसेन की मंत्री बनने की हसरत अब पूरी होती नहीं दिख रही.