भोपाल।मध्यप्रदेश पुलिस के डॉग स्क्वॉड में एक बार फिर जर्मन शेफर्ड, डाबरमैन और लैब्राडोर नस्ल के डॉग शामिल किए जाएंगे. इसके अलावा सीरिया में अंधेरी और खतरनाक गुफा में छिपे आतंकी बगदादी को मारने में अमेरिकी सैनिकों की मददगार बने बेल्जियम मेलिनोइस नस्ल के भी दो डॉग खरीदे जा रहे हैं. इसको लेकर पुलिस मुख्यालय ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है. डॉग ट्रेनर के फीडबैक के बाद एमपी पुलिस इस बार देसी नस्ल के पपी के स्थान पर विदेशी नस्ल के पपी खरीदने जा रहे हैं. पिछली बार खरीदे गए अधिकांश देसी डॉग को ट्रेंड करने में पुलिस डॉग ट्रेनर के पसीने छूट गए थे. उधर इस साल 26 जनवरी की परेड में डॉग स्क्वायड में फिलहाल देसी डॉग को शामिल नहीं किया गया.
बेल्जियन मैलिनोइस डॉग भी खरीदेगी पुलिस: एमपी पुलिस ने अपने डॉग स्क्वायड में ट्रेंड डॉग की संख्या बढ़ाने के लिए डॉग खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. एमपी पुलिस विदेशी नस्ल के 26 डॉग खरीदेने जा रही है. इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इस बार 10 डॉबरमेन, 2 लेब्राडोर, 11 जर्मन शेफर्ड के अलावा पुलिस 2 बेल्जियम मेलिनोइस डॉग भी खरीदने जा रही है. इसके पहले इस नस्ल के तीन डॉग 2019 में भी खरीदे गए थे.
MP Police Dog Squad: पीएम की पहल पर डॉग स्क्वायड टीम में शामिल किए गए थे देसी कुत्ते, विदेशी ब्रीड के मुकाबले, स्लो लर्नर 25 को आएगा रिजल्ट
बगदादी को पकड़ने में निभाई थी अहम भूमिका:बेल्जियन मैलिनोइस डॉग ब्रीड के डॉग की सूंघने की क्षमता दूसरे डॉग के मुकाबले बेजोड़ मानी जाती है. बेल्जियन मैलिनोइस ब्रीड के डॉग की मदद से अमेरिकी नौसेना के डेल्टा फोर्स ने सीरिया में कुख्यात आतंकी अबू बकर अल बगदादी को ढूंढने में सफलता पाई थी. यह डॉग आतंकी का पीछा करते हुए अंधेरी और खतरनाक सुरंग से होते हुए बगदादी तक पहुंच गया था, जिसके बाद सैनिकों ने उसे मार गिराया था, हालांकि ऑपरेशन में डॉग घायल हो गया था. इसके पहले 2011 में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने इस डॉग की मदद ली गई थी. यह डॉग अपनी फुर्तीली रफ्तार, आक्रामकता, तेज दिमाग और धीरज के लिए जाना जाता है. भारत में भी कई सुरक्षा एजेंसियां इसका उपयोग करती हैं.
अलग कुत्तों की नस्ल खरीदेगा एमपी पुलिस देसी नस्ल के डॉग से तौबा: इस बार पुलिस ने देसी डॉग न खरीदने का निर्णय लिया है. 2021 में पुलिस ने 20 देसी डॉग्स खरीदे थे, लेकिन इन्हें ट्रेंड करने में पुलिस ट्रैनर के पसीने छूट गए थे. विदेशी नस्ल के डॉग्स के मुकाबले अधिकांश देसी डॉग्स स्लो लर्नर साबित हुए थे. इन्हें ट्रेंड होने में करीब 11 महीने का समय लगा, जबकि आमतौर पर ट्रेनिंग का समय 9 माह का होता था. हालांकि मुधोल हाउंड, राजापलायम, कोम्बाई नस्ल के देसी डॉग्स का परफॉर्मेंस काफी अच्छा था. 23वीं बटालियन के डीएसपी एएस राजपूत के मुताबिक फिलहाल अभी टेंडर प्रक्रिया की जा रही है, बजट के हिसाब से डॉग की खरीदी की जाएगी.