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पेंशनधारियों की शिवराज सरकार को चेतावनी, बोले- चुनावों में भुगतने होंगे परिणाम - मप्र में पेंशनरों ने दी शिवराज सरकार को चेतावनी

एमपी में एक बार फिर पेंशनर्स ने सरकार को चेतावनी दे डाली है. पेंशनधारियों ने जल्द उनकी मांगों को पूरा न करने पर इसका खामियाजा बीजेपी सरकार को भुगतने की बात कही है.

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Published : May 30, 2023, 5:46 PM IST

भोपाल।मध्य प्रदेश के तकरीबन डेढ़ लाख से ज्यादा पेंशनर्स अपनी लंबित मांगों को लेकर एक बार फिर सड़कों पर उतरे हैं. पेंशनर्स का आरोप है कि उनकी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार ने वादा करने के बाद भी कुछ नहीं किया. पेंशनर एसोसिएशन का कहना है कि पेंशनरों की मांगो को पूरा करने में वित्त एवं सामान्य प्रशासन विभाग की उदसीनता प्रमुख रूप से जिम्मेदार है. पेंशनरों की मांगों को उचित ढंग से प्रस्तुत करने में नाकाम वित्त एवं सामान्य प्रशासन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रदेश के पेंशनर्स एवं कर्मचारियों में सरकार के विरुद्ध माहौल पैदा कर दिया है.

चुनावों में खामियाजा भुगतने की चेतावनी

सरकार के खिलाफ पेंशनर्स: पेंशनर्स का कहना है कि वे सीधे तौर पर सरकार के खिलाफ जाएंगे और जिसका खामियाजा बीजेपी सरकार को 2023 के चुनाव में भुगतना पड़ेगा. उन्होंने सीधे नाराजगी जताते हुए कहा कि इसका नतीजा विधानसभा चुनाव में प्रत्यक्ष रुप से देखने को मिलेगा. एमपी के पेंशनर्स का कहना है कि धारा-49 के संबंध में भारत सरकार के स्पष्ट दिशा निर्देशों के बाद भी पेंशनर्स को मंहगाई राहत का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जबकि अन्य दो राज्य विहार-झारखण्ड एवं उत्तरप्रदेश-उत्तराखण्ड में केन्द्र के समान महगाई राहत का भुगतान पेंशनरों को किया जा रहा है, क्या वहा धारा-49 प्रभावशील नहीं हैं?

पेंशनरों ने शिवराज को दी चेतावनी

जीवन यापन कठिन: प्रदेश उपाध्यक्ष एल. एन. कैलासिया ने आरोप लगाया कि सरकार केन्द्रीय तिथि एवं दर से मंहगाई राहत का भुगतान न कर पेंशनर्स को आर्थिक रुप से प्रताड़ित कर रही है. वहीं दूसरी ओर पेंशनर्स को कोई निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न होने के कारण आधे से अधिक पेंशन उपचार में खर्च हो जाती है, जिसके कारण पेंशनर का जीवन यापन करना कठिन हो गया है. पुरानी पेंशन योजना लागू करने की भी पुरजोर मांग की गई.

सरकार की पेंशनर्स विरोधी मंशा: भोपाल जिला शाखा अध्यक्ष आमोद सक्सेना ने बताया कि छठवें वेतन आयोग का लाभ पेंशनर्स को दिए जाने के संबंध में मंत्री परिषद के आदेश एवं मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्णय के उपरान्त भी 32 माह के एरियर्स का भुगतान नहीं करना सरकार की पेंशनर्स विरोधी मंशा को दर्शाता है. इसी तरह 7वें वेतन आयोग का 27 माह का एरियर्स भी मा. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी नहीं दिया गया. सक्सेना ने बताया जब तक पेंशन नियम-1976 में केन्द्र के समान संशोधन कर पेंशनर की अविवाहित, विधवा, तलाकशुदा पुत्री को अजीवन परिवार पेंशन का प्रावधान नहीं किया जाता है. तब तक सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में किया जा रहा प्रयास अधूरा रहेगा.

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