भोपाल। पंचायत चुनाव की अधिसूचना निरस्त होने के बाद मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग विधि विशेषज्ञों से राय ले रहा है. माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव को लेकर आयोग जल्द फैसला ले सकता है. सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के साथ राज्य निर्वाचन आयोग के पदाधिकारियों की बैठक हुई, इसमें पंचायत विभाग ने अध्यादेश को लेकर सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव की और अध्यादेश को लेकर प्रतिवेदन पेश किया गया. माना जा रहा है कि आयोग पंचायत चुनाव (MP Panchayat Chunav) निरस्त करने को लेकर जल्द फैसला दे सकता है.
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राज्य निर्वाचन आयोग को लेना है अंतिम फैसला (MP State Election Commission will take decision)
पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर मचे सियासी बवाल के बाद रविवार को शिवराज कैबिनेट ने पंचायत चुनाव को लेकर जारी की गई अधिसूचना को निरस्त करने के प्रस्ताव को अपनी सहमति दे दी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल मंगू भाई पटेल से मुलाकात की थी. देर शाम चुनाव निरस्त करने को लेकर अधिसूचना जारी हो गई थी. हालांकि इसको लेकर अंतिम फैसला मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को लेना है. अधिसूचना जारी होने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव अधिसूचना के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग पहुंचे, यहां उनकी राज्य सूचना आयुक्त बीपी सिंह और आयोग के अन्य पदाधिकारियों के साथ करीब 1 घंटे तक चर्चा हुई. बताया जा रहा है कि इस दौरान पंचायत विभाग की प्रमुख सचिव ने अधिसूचना को लेकर सरकार द्वारा लिए गए तमाम बिंदुओं को सिलसिलेवार रखा. अब इसको लेकर राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव को लेकर विधि विशेषज्ञों से राय ले रहा है. शाम तक पंचायत चुनाव निरस्त करने को लेकर अंतिम फैसला आने की उम्मीद है.
सबको साथ ले चुनाव कराना चाहती है बीजेपी- नरोत्तम (Narottam on MP Panchayat Election)
मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव पर रोक लगाने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने विधि विशेषज्ञों के साथ सलाह मशवरा किया है, इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में केंद्र सरकार से बातचीत की. सरकार ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation in Panchayat election) के साथ चुनाव कराने के पक्ष में है. इधर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आरक्षण को लेकर कहा कि कांग्रेस ने जानबूझकर पिछड़ा वर्ग को पंचायत चुनाव में भागीदारी करने से रोका. हार के डर से कांग्रेस कोर्ट में पहुंची जिसके कारण चुनाव प्रक्रिया से ओबीसी वर्ग को बाहर होना पड़ा. भाजपा सरकार सभी वर्गों को साथ में लेकर पंचायत चुनाव कराने के पक्ष में थी.