भोपाल। मध्यप्रदेश में 2003 के विधानसभा चुनाव में सत्ता पलट की कहानी के मुख्य किरदार कर्मचारी थे. 2023 में ओल्ड पेंशन स्कीम के मुद्दे के साथ क्या फिर ये कहानी दोहराई जा सकती है. चुनावी साल में जुलाई तक सब्र का दामन थामने के बाद कर्मचारी आर पार की लड़ाई की तैयारी में है. एक जुलाई तक अगर शिवराज सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर फैसला नहीं लिया तो आचार संहिता लगने के ठीक पहले पूरे प्रदेश में अनिश्चितकालीन आंदोलन की तैयारी है. प्रदेश भर में न्यू पेंशन स्कीम के दायरे मे आ रहे कर्मचारियों की तादात साढ़े 6 लाख के करीब है. और ये कर्मचारी वो निर्णायक वोटर हैं. आखिरी वक्त में डाक से आने वाला जिसका वोट हार को जीत में बदलने का माद्दा रखता है. क्या ये कर्मचारी इस बार एमपी की सत्ता पलट की जमीन तैयार करेगा.
न्यू पेंशन स्कीम हंगामा है क्यों बरपा:विधानसभा के बजट सत्र में शिवराज सरकार की ओर से ये तकरीबन स्पष्ट हो चुका है कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर सरकार का कोई विचार नहीं है. हांलाकि ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए संघर्ष कर रहे कर्मचारी संगठन की रणनीति भी वेट एण्ड वॉच की है. वो सरकार को भरपूर समय देना चाहते हैं. नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रदेश अध्यक्ष प्रदेशाध्यक्ष परमानंद डेहरिया के मुताबिक न्यू पेंशन स्कीम पूरी तरह से मार्केट बैस्ड स्कीम है. और ये ही इसकी सबसे बड़ी खामी है. इसे समझिए वे बताते हैं अगर मेरा वेतन 60 हजार रुपए है तो 6 हजार मेरे मूल वेतन से कट जाएगा यानि 10 प्रतिशत और 14 प्रतिशत सरकार अपनी ओर से मिलाएगी. जिसे शेयर मार्केट में लगाएगी. फिर जो मेरी जमा पूंजी है. उसकी 60 प्रतिशत एक मुश्त राशि मिलती है. यानि कि अगर दस लाख जमा हुए तो 6 लाख मिलेंगे. बाकी जो 4 लाख है उसका जो प्रॉफिट है. उसको 12 महीने में विभाजित करके दे दिया जाता है. जो बहुत ही न्यूनतम होता है. एक कर्मचारी के हिस्से तो कुछ सवा 41 सौ रुपए ही आए.
न्यू पेंशन स्कीम की खामी: डेहरिया ने बताया कि दूसरी बड़ी खामी ये है कि रिटायरमेंट के साथ ही कर्मचारी को 6 महीने तक कुछ भी नही मिलता. जबकि ओल्ड पेंशन स्कीम में अंतिम वेतन के भुगतान के मान से पेंशन बनती है. इसके अलावा भी नई पेशन स्कीम में कई प्रावधान हैं ही नहीं. मसलन अगर शासकीय कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उस पर आश्रित परिवार की कोई पेंशन नहीं है. कर्मचारी कार्य के दौरान अशक्त हो जाए तो कोई पेंशन नहीं. यदि कोई कर्मचारी लापता हो जाए तो ऐसे कर्मचारी के परिवार के भरण पोषण का को प्रावधान नही है. नक्सली मूवमेंट में कई बार कर्मचारी लापता हो जाते है तो उनको लेकर भी कोई पॉलिसी नहीं है.