भोपाल।सरकारी नौकरी से ब्रेक लेकर सियासत के मैदान में उतरने वाले आईएएस अफसरों की फेहरिस्त मध्यप्रदेश से लेकर देश भर में बड़ी लंबी है, लेकिन कितने ऐसे अफसर हैं, जिन्होंने सरकार और जनता के बीच की कड़ी बन जाने के बाद इन्होंने सिर्फ समाज को बदलने के मकसद से रिटायरमेंट लेने का प्लान बनाया हो. शहडोल में कमिश्नर रहते हुए कई नवाचार कर ब्यूरोक्रेसी में मिसाल बने आईएएस राजीव शर्मा एक नई लकीर खींचने की तैयारी में हैं. अटकलें इनके भी सियासत में जाने की ही लगाई जा रही है, लेकिन राजीव शर्मा अन्ना हजारे, अरुणा राय और नानाजी देशमुख के नक्शेकदम पर बढ़ने तैयार हैं. अपनी दूसरी पारी में सोशल एक्टिविस्ट बतौर उतर रहे राजीव शर्मा ने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति यानि वीआरएस का आवेदन भी दे दिया है.
शहडोल संभागायुक्त ने मांगा वीआरएस: एमपी में शहडोल जिले के संभागायुक्त राजीव शर्मा ने सरकार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन दिया है. 2003 बैच के आईएएस अफसर राजीव शर्मा फिलहाल शहडोल कमिश्नर हैं, यहां किए गए उनके नवाचार लगातार सराहे जा रहे हैं. जैसे ही शर्मा ने वीआरएस का आवेदन लगाया तो अटकलें तेज हुई कि क्या अब एक और आईएएस चुनाव लड़ने की तैयारी में है. लेकिन राजीव शर्मा उन्हें लेकर लगाए जा रहे कयासों और धारणाओं को एक वाक्य में तोड़ देते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में राजीव शर्मा ने कहा कि "मैंने 15 -20 साल जिन भी जिलों में काम किया, मेरी कोशिश रही कि अच्छे से अच्छा काम हो. लेकिन दुष्यंत कुमार का वो शेर है ना कि 'घर अंधेरा देख तू आकाश के तारे ना देख'....उसकी तरह मैंने तय किया कि अपनी जन्मभूमि का जो अंधेरा है. वहां सूरज उगाने मैं ही जमीन पर उतरूंगा. मैं किसी और से क्यों कहूं मेरी माटी है, मेरी जन्मभूमि है, वहां कि गंदगी साफ करने मुझे ही मैदान में आना होगा. वहां जो सामाजिक ताना बाना बिगड़ा हुआ है, वैमनस्यता है. इस गंदगी को सिरे से साफ करना है."