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MP Nursing Colleges Scam: CM के काफिले के आगे लेट गईं नर्सिंग छात्र-छात्राएं, पुलिस ने धक्का देकर रास्ते से हटाया, कांग्रेस हमलावर - सीएम शिवराज पर कांग्रेस हमलावर

मध्यप्रदेश में नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों में हुई धांधली की वजह से नर्सिंग छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में है. इसको लेकर नर्सिंग छात्र-छात्राओं का गुस्सा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी झेलना पड़ा है. गुना में बीजेपी के रोड शो के दौरान बड़ी संख्या में नर्सिंग छात्र छात्राओं ने सीएम के काफिले घेर लिया. सुरक्षा कर्मियों ने छात्र-छात्राओं पर हल्का बल प्रयोग कर उन्हें रास्ते से हटाया.

MP Nursing Colleges Scam
CM के काफिले के आगे लेट गईं नर्सिंग छात्र-छात्राएं

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 18, 2023, 10:28 AM IST

भोपाल।नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है. मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सैयद जफर ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस प्रवक्ता ने लिखा है कि गुना में जब नर्सिंग छात्र-छात्राओं ने जनता के बीच रोड शो कर रहे सीएम शिवराज से मिलकर समस्या बताने की कोशिश की तो उन्हें खदेड़ दिया गया. 4 साल से परीक्षा नहीं होने से इन नर्सिंग छात्र-छात्राओं का साल पर साल बर्बाद हो रहे हैं. उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. इनकी समस्या सुनने की बजाय धक्का देकर भगाया जा रहा है.

कांग्रेस ने ये कहा :कांग्रेस का कहना है कि जनता से मिलना नहीं, चर्चा करना नहीं, उल्टे धक्का देकर दूर करना कौन सी राजनीति का धर्म है. आपका व्यवहार संवेदनशील, शर्मनाक निंदनीय है. मंच पर लाड़ली बोलकर गाना बजाने का दिखावा किया जाता है, लेकिन मंच से उतरते ही हकीकत सामने आ जाती है. इधर, कांग्रेस के NSUI नेता रवि परमार के मुताबिक 27 फरवरी 2023 को ग्वालियर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश आयुर्वेद विज्ञान द्वारा आयोजित नर्सिंग और पैरामेडिकल की परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी. बीजेपी सरकार और मध्य प्रदेश आयुर्वेद ज्ञान विश्वविद्यालय की लापरवाही के चलते यह मामला हाई कोर्ट में चल रहा है. अदालत ने इस मामले में सीबीआई को जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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मामला हाईकोर्ट में :बता दें कि नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाडा मामले को लेकर लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी. याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी अंचलों में जिन 55 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई, वे कागजों पर चल रहे हैं. मान्यता के लिए निर्धारित इंफ्रास्ट्रक्चर इन कॉलेजों के पास है ही नहीं. याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया था कि कई नर्सिंग कॉलेज में एक ही व्यक्ति फैकल्टी है और प्रिंसिपल भी एक. इस मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को है.

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