मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

MP News: विंध्य का यह आम खाएं, डायबिटीज भूल जाएं, जानिए सुंदरजा आम की क्या है खासियत

राजधानी भोपाल में इन दिनों आम महोत्सव चल रहा है. इस महोत्सव में एक से बढ़कर एक आमों की वैरायटी देखने मिल रही है. बीते दिन जहां हमने आमों की मलिका नूरजहां आम की बात की. वहीं आज आपको एक ऐसे आम के बारे में बताएंगे जिसे शुगर पेशेंट भी खा सकते हैं. पढ़िए इस आम की खासियत...

Sundarja aam
सुंदरजा आम

By

Published : Jun 9, 2023, 5:29 PM IST

विंध्य के सुंदरजा आम की बढ़ती डिमांड

भोपाल।यदि आप डायबिटीज पेशेंट हैं और इस डर से आम खाने से परहेज करते हैं कि इससे आपकी ब्लड शुगर बढ़ जाएगी... तो आप सुंदरजा आम का स्वाद बिना डर उठा सकते हैं. इस आम की खासियत ही यह है कि इसे खाने से ब्लड शुगर नहीं बढ़ता है. देश-विदेश में इस सुंदरजा आम ने विंध्य क्षेत्र को अलग पहचान दी है. अपनी अलग खासियत के चलते कुछ समय पहले ही इसे जीआई टैग मिल चुका है. भोपाल में चल रहे आम महोत्सव में लोगों को यह आम खूब लुभा रहा है.

यह है इस आम की खासियत:रीवा के गोविंदगढ़ से आए दिनेश कुमार बताते हैं कि सुंदरजा आम सिर्फ रीवा के गोविंदगढ़ में ही पैदा होता है. यहां की जलवायु इन आमों के पेड़ों के लिए उम्दा मानी जाती है. इस आम को जीआई टैगिंग मिल चुकी है. इस आम की सबसे खास बात यह है कि इस आम में विटामिन ए 8 प्रतिशत मात्रा में पाया जाता है. 50 प्रतिशत विटामिन सी, 24 फीसदी कार्बोहाईड्रेट और चीनी की मात्रा 22 फीसदी होती है. इसका औषधीय गुण यह है कि डायबिटीज के पेशेंट यदि इन्हें खाते हैं, तो यह नुकसान नहीं पहुंचाता है. यही वजह है कि डायबिटीज के पेशेंट इस आम को खूब पसंद करते हैं.

सुंदरजा आम

विदेश में एक्सपोर्ट होता है यह आम: अपनी इन खासियत के चलते इस आम की देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी डंका बजता है. गोविंदगढ़ का यह आम देश के कई राज्यों के अलावा विदेशों में भी खूब डिमांड है. गोविंदगढ़ में 500 एकड़ एरिया में करीब 25 हजार पेड़ इस आम के लगे हैं. 2019 से इसके पेड़ों की संख्या ग्राफ्टिंग के माध्यम से हर साल बढ़ाई जा रही है. यहां पैदा होने वाली आम की फसल का देश के अलग-अलग स्थानों के अलावा विदेश में भी एक्सपोर्ट किया जाता है. सुंदरजा आम को रीवा जिले की एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया गया है. दिनेश कुमार कहते हैं कि जीआई टैगिंग मिलने से अब इस आम की बिक्री टैगिंग के साथ हो रही है, इससे एक्सपोर्ट और बडे़ बाजार में अच्छे दाम मिलेंगे.

यहां पढ़ें...

डाक टिकट हो चुका है जारी: इस आम की लोकप्रियता को इसी से समझा जा सकता है कि इस आम के नाम से 1968 में एक डाक टिकट भी जारी हो चुका है. किसानों का कहना है कि यह इस क्षेत्र की मिट्टी और यहां की जलवायु का कमाल है कि यह इस आम को खास बनाते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details