भोपाल। तो क्या एमपी के नए सीएम डॉ. मोहन यादव ने शपथ लेते ही अपनी बड़ी लकीर खींचनी शुरू कर दी है. लाउड स्पीकर पर कंट्रोल से लेकर मांस अंडे की दुकानों पर बैन तक मोहन यादव ने ये बताने में देर नहीं लगाई कि वो किस धारा के राजनेता हैं. शुरुआती फैसले ही ऐसे लिए कि धमक दूर तक सुनाई दे. शपथ लेने के 48 घंटे के भीतर बीजेपी कार्यकर्ता का हाथ काटने वाले आरोपी के घर पर बुलडोजर चला कर बता दिया कि एमपी में अब मामा नहीं मोहन राज है....लेकिन हिंदी सिनेमा की तरह राजनीति में भी जरूरी नहीं कि जोर से बोले गए संवाद ही सुनाई दें. अब जहां कुछ कहा नहीं जाता उस अभिनय को परखा और सराहा जाता है. आम मतदाता ही नहीं एमपी में बीजेपी के तमाम नेताओं को हैरत में डालकर मुख्यमंत्री बनें डॉ. मोहन यादव क्या आगे भी इसी तरह अपने फैसलों से जनता को चौंकाएंगे..
कितनी लंबी रेस के घोड़े मोहन... :बीजेपी ने एमपी में 18 वर्ष की सत्ता के बाद चेहरा बदला है. पूर्व सीएम शिवराज के लिए जनता की दीवानगी के वीडियो इसकी तस्दीक हैं. मोहन यादव के लिए परफार्मेंस प्रेशर के साथ बड़ी चुनौती ये भी है कि संघ के स्वयंसेवक को मुख्यमंत्री बनने के साथ एमपी में अपनी स्वीकार्यता भी बनानी है. उस शक्ल में कि ऐसी ही दीवानगी की तस्वीरें उनकी भी आएं और वो केवल मालवा से न हो.
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