भोपाल। तो आप ये मान लीजिए कि सांसद प्रज्ञा ठाकुर अगर ये भूल सुधार ना करतीं, तो गुलामी का प्रतीक हलालपुरा नाम ही ज़ुबान पर लाते रहते आप. सांसद साध्वी के मत से हलाल शब्द अशुध्द है, लिहाजा इस जगह का नाम अब हनुमानगढ़ी हो. इसी तरह भोपाल में राजनीति की सांप सीढ़ी देख चुके लालघाटी चौराहे को भी महेन्द्रनारायण दास जी महाराज सर्वेश्वर चौराहा कहा जाएगा. प्रस्ताव पारित हो चुका आपको अपनी ज़ुबान पर ये नाम बिठाना है. बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने नाम बदले जाने की जो एक शब्द में वजह बताई वो ये है कि हलालपुरा शब्द अशुध्द है. ये पहला वाक्या नहीं है, बीजेपी सरकार इतिहास को दुरुस्त करने की कोशिश में इसके पहले हबीबगंज स्टेशन को कमलापति स्टेशन बना चुकी है. लेकिन सवाल ये है कि नाम बदलने से दाग धुल जाते हैं क्या. सवाल ये कि नाम बदलने से बदलता क्या क्या है... सवाल ये है कि हबीबगंज से लेकर हलालीडेम तक नए नामकरण, क्या इसके पीछे कोई सियासी पैगाम भी है.
हलालपुरा नहीं हनुमान गढ़ी कहिए.... :नाम में क्या रक्खा है. लेकिन बकौल सांसद प्रज्ञा ठाकुर नाम में अशुध्दता भी होती है और वीभत्स इतिहास भी, जिसकी वजह से भोपाल का हलालपुरा हनुमानगढ़ी हुआ और लालघाटी चौराहा महेन्द्रनारायण दास जी महाराज के नाम से जाना जाएगा. नगर निगम में सांसद प्रज्ञा ठाकुर की अनुशंसा का ये प्रस्ताव पारित भी हो गया. लेकिन प्रस्ताव पर सवाल भी उठ रहे हैं. सवाल ये कि क्या ये नए नामकरण केवल रक्त रंजित इतिहास के दाग मिटाने की कोशिश हैं या बीजेपी अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही है. इसके पहले हबीबगंज स्टेशन का नाम पर गोंड राजा की रानी कमलापति के नाम पर रखा गया था. नामकरण के साथ आदिवासी सम्मेलन में जनजाति समाज के बीच आदिवासी वर्ग को सीधा संदेश भी दिया गया. क्या हनुमानगढ़ी भी एमपी से फिर उठी हिंदुत्व की हुंकार कही जाएगी. एमपी की राजनीति में पैर जमा रही औवैसी की पार्टी एआईएमआईएम तो यही मानती है. पार्टी के नेता क़ाज़ी सैयद अनस अली की निगाह में ये केवल मुसलमानों को टारगेट करने के लिए किया जा रहा है. हबीबगंज के बाद अब हलालपुर. अनस अली कहते हैं चलिए आप नाम बदल भी दीजिए, लेकिन मेरा सवाल है कि केवल नाम बदलने से काम बदल जाएगा क्या. भोपाल का नाम जापान कर दीजिए, तो उससे होगा क्या जब तक भोपाल जापान की तरह से रफ्तार ना पकड़े.