भोपाल।तलवार की धार पर शुरु हुई शिवराज सरकार की चौथी पारी के गुज़रे तीन साल क्या चुनाव के लिए पुख्ता जमीन तैयार कर पाए हैं. लोकप्रिय योजनाओं के बूते अब तक सत्ता की हैट्रिक बनाते शिवराज क्या अब खुद को दोहराते दिखाई दे रहे हैं. लाड़ली लक्ष्मी के बाद अब लाड़ली बहना योजना क्या वाकई बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हो पाएगी. जबकि एमपी में महिलाओं पर होने वाली हिंसा से जुड़े आंकड़े कुछ और गवाही दे रहे हैं. चुनावी साल में सरकार का इम्तेहान ओला बारिश में तबाह हुआ किसान भी लेगा और बेरोजगार नौजवान भी. सवाल ये है कि चुनाव तक पहुंचने वाली चौथी पारी शिवराज सरकार के लिए कितनी चुनौती भरी है.
एक हजार में मेरी बहना कितनी महफूज:लाड़ली लक्ष्मी योजना की तरह अब चुनावी साल में शिवराज सरकार ने लाड़ली बहना योजना लांच कर दी है. प्लानिंग ये है कि चुनावी माहौल बनने के पहले 21 वर्ष से ऊपर की महिलाओं के खाते में जो इस लाड़ली बहना योजना के दायरे में आती हैं, हजार रुपए पहुंच जाएं. एक हजार रुपए के हिसाब से साल के 12000 एक बहन के खाते में जाएंगे. शिवराज सरकार ने करीब 60 हजार करोड़ का बजट इस योजना पर खर्च के लिए रखा है. एक निगाह में ये योजना लोकलुभावन तो दिखाई देती है. लेकिन ये हकीकत भी सामने है कि प्रदेश में महिलाओं से जुड़े अपराध के दाग अब तक नहीं धो पाई है सरकार. यानि बुनियादी काम में अब भी कसर पाकी है. मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में गृह विभाग की ओर से ये जवाब दिया गया कि एक अप्रैल 2020 से लेकर 31 जनवरी 2023 के बीच केवल रेप के 17033 मामले एमपी में हुए हैं. इसी दौरान प्रदेश की 68 हजार 703 बच्चियो और महिलाएं गुमशुदा हो गईं. डराने वाली बात ये है कि अपराधियों में कानून का डर खत्म हो गया है. हालत ये है कि बलात्कार के अपराध में जेल गए 76 अपराधियों ने जेल से निकलने के बाद फिर बलात्कार किया.