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एमपी में वकीलों की हड़ताल जारी, राजधानी की जेल में बढ़ी कैदियों की संख्या, सुनवाई के लिए सिर्फ 12 लॉयर

हाई कोर्ट द्वारा 3 माह में 25 केस निदान करने वाले आदेश के बाद शुरू हुई हड़ताल जल्द थमती नजर नहीं आ रही है. इसका एक बड़ा नुकसान उन पक्षकारों को हो रहा है, जिनके पास कोई वकील नहीं हैं. हालांकि, इनकी मदद के लिए एमपी जिला विधिक प्राधिकरण की तरफ से 12 वकीलों की डिफेंस टीम बनाई गई है, लेकिन सुनवाई के अनुपात में इनकी संख्या काफी कम है.

Lawyers Strike in Bhopal
एमपी में वकीलों की हड़ताल

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Published : Mar 25, 2023, 10:32 AM IST

एमपी में वकीलों की हड़ताल

भोपाल।एमपी में इन दिनों करीब 92 हजार वकील हड़ताल पर हैं. इनकी मांग है कि हाई कोर्ट ने जो समय सीमा में केस निराकरण का आदेश दिया है, उसे रद्द किया जाए. अब तक कोर्ट ने इस मामले में कोई नरमी नहीं बरती है. नतीजतन 25 मार्च तक चलने वाली हड़ताल अब लंबी खिंचती दिखाई दे रही है. इस हड़ताल के चलते भोपाल की 2631 कैदियों की क्षमता वाली जेल में करीब 3550 कैदी हो गए हैं.

बढ़ रही कैदियों की संख्या:जेल अधीक्षक राकेश भांगरे का कहना है कि जेल में कैदियों की संख्या लगभग 3550 रहती है. फिलहाल, 20 से 50 का अंतर आया है. जितने भी जमानत वारंट आ रहे हैं, वे सभी तामील हो रहे हैं. एक जानकारी के अनुसार, एमपी की 11 सेंट्रल जेलों की कुल क्षमता 14604 के मुकाबले में कैदियाें की संख्या करीब 25 हजार पार पहुंच गई है. इस बात की तस्दीक बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भी की है.

भोपाल में कुल 69 कोर्ट:भोपाल बार एसोसिएशन के सदस्य सौरव स्थापक कहते हैं कि यह बिलकुल सही है कि जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि पक्षकार के साथ वकील नहीं होने से जेल वारंट अधिक जारी हो रहे हैं. कोर्ट में पक्षकार की मदद के लिए लीगल एड डिफेंस काउंसिल की तरफ से 12 वकील दिए गए हैं. लेकिन यह नाकाफी हैं क्योंकि भोपाल में कुल 69 कोर्ट हैं और इनमें हर दिन औसतन 5 केस पक्षकारों की तरफ से जाते हैं.

ये है मामला:हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि 3 महीने में 25 पुराने केस निपटाने होंगे. यह आदेश दिसंबर 2022 में दिया था. इसके बाद से वकील इसका विरोध कर रहे थे. भोपाल में 23 फरवरी से लगातार हड़ताल चल रही है, जो 25 मार्च तक चलेगी. भोपाल बार एसोसिएशन के सदस्य सौरव स्थापक ने बताया कि यह हड़ताल आगे बढ़ सकती है. साेमवार को बार काउंसिल मामले में एक बैठक करके निर्णय लेगी.

क्या स्वार्थ के लिए हो रहा विरोध:वकीलों की हड़ताल को लेकर आरोप लग रहा है कि वे अपने स्वार्थ यानी केस जल्दी खत्म न हों इसके लिए हड़ताल कर रहे हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन प्रेम सिंह भदौरिया ने कहा कि यह गलत आरोप है. चीफ जस्टिस को लोअर कोर्ट के साथ हाई कोर्ट के ऊपर भी समय सीमा तय करनी चाहिए. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि लोअर कोर्ट से फैसला होने के बाद हाई कोर्ट की बैंच में महीनों बाद तारीख मिलती है. तब तक पक्षकार की जमानत नहीं हो पाती. उल्टा उन्होंने आरोप लगाया कि चीफ जस्टिस न्याय को समय सीमा में बांधना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि समय सीमा तय करनी है तो पहले हाई कोर्ट के सभी पदों को भरा जाए.

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52 की जगह 37 जज, 7 होंगे रिटायर:स्टेट बार काउंसिल चेयरमैन प्रेम सिंह भदौरिया ने बताया कि एमपी हाई कोर्ट में कुल 52 मजिस्ट्रेट हैं. वर्तमान में कुल 37 जज पदस्थ हैं. इनमें से 7 जज इस साल यानी वर्ष 2023 में रिटायर हो जाएंगे, ऐसे में 30 जज ही बचेंगे. पहले इन्हें भरना चाहिए ताकि हाई कोर्ट में आने वाले केस की तय समय सीमा में सुनवाई हो सके.

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