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जन आशीर्वाद यात्रा: सिंधिया का हुआ जोरदार स्वागत, कांग्रेस का पलटवार कहा- चुनी हुई सरकार गिराने वाले 'क्षमा' यात्रा निकालें - ज्योतिरादित्य सिंधिया की जन आशीर्वाद यात्रा

मंगलवार को देवास से शुरू हुई ज्योतिरादित्य सिंधिया की जन आर्शिवाद यात्रा मां चामुंडा के मंदिर में पूजा अर्चना के बाद शुरू हुई. यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया. न दिनों की यह यात्रा शाजापुर, खरगौन और 19 अगस्त को इंदौर पहुंचेगी.

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जन आशीर्वाद यात्रा: सिंधिया का हुआ जोरदार स्वागत

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Published : Aug 17, 2021, 7:11 PM IST

देवास। बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मंगलवार को अपनी जन आर्शिवाद यात्रा शुरू की. देवास में मां चामुंडा के मंदिर में पूजा अर्चना के बाद शुरू हुई इस यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया. देवास से शुरू हुई तीन दिनों की यात्रा शाजापुर, खरगौन और 19 अगस्त को वापस इंदौर पहुंचेगी. यात्रा के दौरान सिंधिया ने देवास जिला अस्पताल का निरीक्षण किया. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए कहा है कि सिंधिया बाढ़ में अपना सबकुछ गंवा चुके ग्वालियर चंबल अंचल की जनता को उसके हाल पर छोड़कर इंदौर में अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं उन्हें और उनकी पार्टी को जनता से कोई सरोकार नहीं है.

जन आशीर्वाद यात्रा: सिंधिया का हुआ जोरदार स्वागत

जनता तक पीएम का संदेश पहुंचाना है - ज्योतिरादित्य

जनआशीर्वाद यात्रा की शुरूआत करते हुए सिंधिया ने मीडिया को भी एड्रेस किया. उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया और प्रदेश सरकार के विकासकार्यो की जानकारी दी. उन्होंने कहा आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश तेजी से विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है और प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह को केंद्र से हर तरह की मदद मिल रही है. इसलिए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश देश और प्रदेश के कोने-कोने में फैलाने के लिए जनता का आशीर्वाद लेने निकले हैं.

जन आशीर्वाद यात्रा: सिंधिया का हुआ जोरदार स्वागत


कांग्रेस गिरगिट की तरह रंग बदलती है- सिंधिया
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस गिरगिट की तरह रंग बदलती है और अफवाहें फैलाने का काम करती है. संसद चलने से रोककर प्रजातंत्र का गला घोंटा जा रहा है. कांग्रेस चाहती है कि देश में किसी का उत्थान न हो. विपक्ष और कांग्रेस पार्टी यह नहीं चाहते कि इस देश में अनुसचित जाती, जनजाती, महिला और पिछड़ा वर्ग आगे बढ़े. उन्होनें कहा कि जनता विपक्ष को 2014, 2019, और मध्यप्रदेश में हुए 28 विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में अपना संदेश दे चुकी है, लेकिन कांग्रेस इसे समझने को तैयार नहीं है.उन्होनेें कहा कि जब भी मेरा नाम आता है कांग्रेस को खुजली आती है, और ऐसा होना स्वाभाविक है. सिधिया ने कहा कि कांग्रेस की टीका टिप्पणीओं से मुझे कोई कठिनाई नहीं होती, में उनका स्वागत करता हूं. पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए सिंधिया ने कांग्रेस से सवाल किया कि जो प्रधानमंत्री ने किया, वो कांग्रेस ने 70 सालों में क्यों नहीं किया. आज भी वो किसी भी मुद्दे पर ट्वीट करती है, पूरी पार्टी सिर्फ ट्विटर तक सीमित हो गई है. इस दौरान उन्होंने अपने नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद मध्यप्रदेश को दी गई सौगातों का भी जिक्र किया.

जन आशीर्वाद यात्रा: सिंधिया का हुआ जोरदार स्वागत

कांग्रेस ने बताया ढ़ोंगियों की यात्रा

कांग्रेस ने बीजेपी की यात्रा पॉलिटिक्स पर पलटवार करते हुए कहा है कि बीजेपी आशीर्वाद यात्रा का ढोंग ना करें और प्रदेश की जनता से माफी मांगे. उसे आशीर्वाद यात्रा नहीं बल्कि क्षमा यात्रा निकालनी चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि बाढ़ से पहले से ही परेशान जनता को ठगने के लिए जनता के पैसे से मजमा लगाने से बेहतर है कि सरकार ईमानदारी से अपना काम करे और जनता को राहत पहुंचाए. भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि बीजेपी को अपनी यात्रा के दौरान लोगों को यह भी बताना चाहिए कि कितने लोगों की दवा के अभाव में, ऑक्सीजन के अभाव में और बेड के अभाव में मौतें हुई हैं. उन्होंने मांग की कि भाजपा के नेता सिंधिया उन 32000 चयनित शिक्षकों के घर जा कर आशीर्वाद मांगे जिनके नाम पर उन्होंने सौदा करते हुए एक चलती हुई सरकार गिराई थी और अब सरकार में आते ही उनसे किनारा कर लिया.

ओबीसी वोट बैंक को साधेंगे सिंधिया

जिस तरह से प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर सिंधिया को आगे कर यात्राएं निकाले जाने की रणनीति तैयार की गई है, उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है पार्टी के बड़े नेता सिंधिया के साथ हैं. माना यह भी जा रहा है कि सिंधिया को आगे कर पीएम मोदी ने ओबीसी के बड़े वोट बैंक को साधने का जिम्मा 'महाराज' को दिया है. यही वजह है कि जन आशीर्वाद यात्रा में प्रदेश बीजेपी के बड़े चेहरों को शामिल नहीं करते हुए ज्योदिरादित्य सिंधिया को बड़े चेहरे के तौर पर जगह दी गई है. यात्रा के जरिए ज्योदिरादित्य सिंधिया को उन क्षेत्रों में भेजने का प्लान तैयार किया गया है जिनमें ओबीसी का अच्छा खासा वोट बैंक है.

प्रदेश की 52 फीसदी OBC आबादी पर है फोकस

यात्रा के मार्ग और जिन क्षेत्रों से यात्रा निकलेगी उसे देखते हुए यह साफ कहा जा सकता है कि ओबीसी वोटर्स को बीजेपी के साथ बनाए रखने के इरादे से ही पार्टी हाईकमान ने सिंधिया को आगे किया है. यह आशीर्वाद भी उन्हीं क्षेत्रों में लेना है जहां पर ओबीसी वोट ज्यादा है. बीजेपी इस बात को जानती है कि अगर उसे फिर से सत्ता में वापस आना है तो उसे ओबीसी वोट बैंक की बहुत ज्यादा जरूरत है. सिंधिया ओबीसी हैं और इसी बात को देखते हुए पार्टी ने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया है. उनका चॉकलेटी चेहरा और महाराजा की छवि दोनों ही भीड़ जुटाई मानी जाती है. पार्टी का भी यही मानना है कि यह चेहरा जितना ज्यादा मैदान में दिखेगा, इसका जितना ज्यादा उपयोग होगा उसे वोट बैंक का उतना ही ज्यादा फायदा होगा. मध्य प्रदेश की 52 फ़ीसदी आबादी पर बीजेपी का सारा फोकस है. हाल ही में केंद्र सरकार ने ओबीसी की सूची राज्यों को तैयार करने के अधिकार दे दिए हैं जिसका बिल दोनों सदनों से पास हो गया है. यही वजह है कि पार्टी ने सिंधिया के चेहरे को लोगों के बीच पहुंचाने की तैयारी की है. इस जन आशीर्वाद यात्रा का फायदा पार्टी को उन क्षेत्रों में भी होगा जहां लोकसभा और विधानसभा के उप चुनाव होने हैं.

चुनाव हारे, अब मजबूत नेता

ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से सांसद रह चुके हैं, हालांकि वे पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे. शायद यही वजह है कि वे खुद भी अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं. जानकारों की माने तो सिंधिया पिछड़े वर्ग से आते हैं. मौजूदा दौर में पार्टी का पूरा फोकस ओबीसी वोटबैंक पर है. इसे देखते हुए यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि 2023 में होने वाले प्रदेश विधानसभा के चुनावों की कमान सिंधिया को मिल सकती है. गौरतलब है कि शिवराज सिंह भी पिछड़े वर्ग से आते हैं, लेकिन 2018 के चुनावों से पहले एससी,एसटी एक्ट पर मचे बवाल और चौहान के बयानों से पार्टी को ग्वालियर चम्बल में काफी सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. इसलिए ग्वालियर - चंबल संभाग को लेकर बीजेपी काफी सतर्क है. पिछली बार आरक्षण से सुलगे ग्वालियर चंबल में पार्टी को 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था, ग्वालियर चम्बल दोनों संभागों के 8 जिलों की 34 विधानसभा सीटों से 2013 में बीजेपी के पास 20 सीटें थी, जबकि 2018 के चुनाव में उसके महज 7 विधायक रह गए. 2018 के चुनावों कांग्रेस ने यहां बाजी मारी और उसके विधायकों की संख्या 12 से बढ़कर 26 विधायक हो गई. उपचुनावों में बीजेपी यहां से सिंधिया समर्थकों से ही उम्मीद थी. ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें बीजेपी को 16 में से 9 सीटें ही मिली, जबकि दूसरी जगहों की सभी 28 सीटों में बीजेपी ने 19 पर कब्जा किया. वहीं कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीटें आईं. यही वजह है कि ओबीसी वोट बैंक को पार्टी के साथ जोड़े रखने और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए पार्टी सिंधिया पर दांव लगाने को तैयार दिखती है. जिसका लिटमस टेस्ट आगामी उपचुनाव में हो सकता है.

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