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इंदौर में प्रिंसिपल को जिंदा जलाने वाले आरोपी की नहीं होगी कोर्ट में पैरवी, जानिए क्या है मामला

इंदौर में प्रिंसिपल को जिंदा जलाने वाले आरोपी की कोर्ट में पैरवी नहीं होगी, ऐसा इसलिए क्योंकि मामले से कोर्ट ने ही ऐसा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा

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Published : Feb 27, 2023, 8:45 PM IST

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इंदौर।सिमरोल में महिला प्रिंसिपल विमुक्ता शर्मा को जिंदा जलाने वाले आरोपी की कोर्ट में कोई भी वकील पैरवी नहीं करेगा. दरअसल इस जघन्य अपराध के आरोपी को कठोर सजा दिलाने के लिए स्टेट बार काउंसिल ने उक्त फैसला लिया है. बता दें कि रविवार को महिला प्राचार्य की मौत हो जाने के बाद जहां आरोपी को धारा 302 के तहत जेल भेज दिया गया है. वहीं अब मामले में स्टेट बार काउंसिल ने इंदौर जिला न्यायालय के सभी वकीलों को निर्देश देते हुए कहा है कि इस जघन्य अपराध की पैरवी इंदौर जिला न्यायालय में कोई भी वकील नहीं करेगा.

प्रिंसिपल को जलाने वाले आरोपी की नहीं होगी पैरवी

प्रिंसिपल को न्याय दिलाने के लिए लिया फैसला: बार काउंसिल के सदस्य जय हार्डिया द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि"क्योंकि अपराधी आशुतोष श्रीवास्तव ने जघन्य श्रेणी का गंभीर अपराध किया है, जिसमें आरोपी ने महिला प्राचार्य पर पेट्रोल डालकर उसे जिंदा जला दिया. यह समाज के प्रति गंभीर अपराध है, लिहाजा यदि कोई भी वकील इस मामले में पैरवी करेगा तो मृतका प्राचार्य विमुक्ता शर्मा को न्याय प्राप्त नहीं होगा. इसलिए अपराधी को कठोरतम सजा दिलाने के लिए बार काउंसिल ने यह फैसला किया है."

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क्या है इंदौर प्रिंसिपल आग कांड: गौरतलब है कुछ दिनों पहले इंदौर के बीएम कॉलेज ऑफ फार्मेसी में पढ़ने वाले पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी मार्कशीट में देरी होने और कॉलेज में मारपीट का केस कॉलेज प्रबंधन द्वारा वापस नहीं लेने से नाराज होकर प्रिंसिपल पर पेट्रोल डालकर उन्हें जिंदा जला दिया था. 80% तक चली प्राचार्य को इंदौर के चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 5 दिनों तक जीवन और मृत्यु से संघर्ष करते हुए आखिरकार प्रिंसिपल विमुक्ता शर्मा की मृत्यु हो गई. इस मामले में इंदौर में प्रदेश भर के प्राध्यापकों ने भी विरोध किया था, वहीं संबंधित थाने द्वारा कॉलेज प्रशासन द्वारा आरोपी के खिलाफ पूर्व में ही की गई शिकायत पर सुनवाई नहीं करने के कारण 2 थाना प्रभारियों को लाइन अटैच भी किया गया है, जबकि सब इंस्पेक्टर को निलंबित किया गया है. अब जबकि आरोपी आशुतोष श्रीवास्तव को धारा 302 के तहत जेल भेज दिया गया है, तो स्टेट बार कौंसिल ने उस के पक्ष में कोई भी वकील पर भी ना कर सके, इस आशय के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.

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