भोपाल। आठवीं में छूटी संस्कृत आप फिर से सीख सकते हैं. 3 हजार साल पुरानी भाषा में आप भी दे सकते हैं नए साल की बधाई. कोरोना काल में जब इस तरह के वर्ग संभव नहीं थे तो ऑनलाइन कक्षाएं दी जा रही थी. लक्ष्य एक ही है कि संस्कृत जनभाषा बनें और सामान्य लोगों तक संस्कृत पहुंच सके. भोपाल के सरस्वती शिशु मंदिर में तीन दिन तक संस्कृत पढ़ने के इच्छुक 100 छात्रो ने इस कोर्स में हिस्सा लिया. (new year greetings in sanskrit) ये आवासीय ट्रेनिंग थी. यानि कक्षाओं के बाद छात्रों के रहने और भोजन का इंतजाम भी यहीं था. संस्कृत कैसे जीवन के हर पड़ाव में खड़ी है इसका ज्ञान भी कराया गया. जैसे भोजन के पहले संस्कृत का सामूहिक श्लोक पढ़ा जाता.
समाज के हर वर्ग में संस्कृत की रुचि:संस्कृत भारती से जुड़े ब्रजेश साहू बताते हैं 40 साल से संस्कृत भारती निरंतर संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार और उसे जनभाषा बनाने के लिए कार्य कर रही है. ब्रजेश बताते हैं कि, आप देखिए रुझान पूर्व न्यायधीश पूर्व महाप्रबंधक गृहिणियां समाज के हर वर्ग के लोगों ने संस्कृत को लेकर रुचि दिखाई है और आवासीय कक्षाओं में रहकर संस्कृत को समझाना सीखा है.
युवा पीढ़ी में बढ़े संस्कृत का आकर्षण:इस वर्ग में संस्कृत सीखने वाले नौजवानों ने संस्कृत में ही शोले फिल्म के संवाद भी सुनाए. और चर्चित हिंदी फिल्मी गीतों को भी संस्कृत में गाकर सुनाए. ये प्रयोग भी इसलिए कि किसी तरह तो नौजवान पीढ़ी संस्कृत से आकर्षित हो सके. प्रियांश पाठक जो संस्कृत में ही फिल्मी गीत सुना देते हैं कहते हांलाकि संस्कृत में अनुवाद पूरी तरह से नही होता है. हम तो नए ढंग से ही गीत रचते हैं.