भोपाल।मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एक बार फिर प्रदेश में लगातार बढ़ रही घटनाओं को लेकर जिम्मेदारों से सवाल किए हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण सवाल मध्यप्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग से किए गए हैं, जिसमें प्रदेश में लागू एक योजना के तहत स्कूली छात्राओं को निशुल्क सैनेटरी पैड उपलब्ध कराने पर सवाल किया गया है. इसके अलावा मंदसौर और नीमच में कुछ महिलाएं ऐसी हैं, जिनके पास समग्र आईडी तो है लेकिन उस पर उनके पति का नाम नहीं है. इसके कारण उन्हें लाडली बहना योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, इस पर आयोग ने जिम्मेदार अधिकारियों से तथ्यात्मक जवाब तलब किया है.
निशुल्क सैनेट्री पैड वितरण को लेकर सवाल: मध्यप्रदेश में साल 2016 से मुफ्त सैनिटरी पैड देने के लिए उदिता प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है, इस प्रोजेक्ट के तहत महिला बाला विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ियों में उदिता काॅर्नर बनाए गए थे, जहां बालिकाओं सहित अन्य महिलाओं को खुले बाजार से कम दाम पर सैनेट्री पैड उपलब्ध कराए जा रहे थे. लेकिन मीडिया रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि उदित काॅर्नर पर आत्मनिर्भर एमपी के तहत तेजस्वी, नाबार्ड एवं राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूहों की महिलाओं से अनुबंध करके जिला एवं परियोजना स्तर पर महिलाओं को सशुल्क सैनेट्री पैड उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इस मामले में अब मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने विस्तृत मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेकर प्रमुख सचिव, मप्र शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग, मंत्रालय, भोपाल से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है.
कई बहनें लाडली बहना योजना से अवांछित:मध्यप्रदेश में इन दिनों लाडली बहना योजना के लिए जोर-शोर से महिलाओं का पंजीयन कार्य चल रहा है, लेकिन प्रदेश के 10-11 जिलों में हजारों बहनें ऐसी भी हैं जिन्हें इसकी पात्रता ही नहीं मिल पा रही है. बांछड़ा, बेड़िया और सांसी समुदाय की इन महिलाओं के पास समग्र आईडी तो है, लेकिन उसमें पति का नाम नहीं है. सिर्फ इसी वजह से उन्हें लाडली बहना योजना की पात्रता नहीं मिल पा रही है. मंदसौर-नीमच जिले में ऐसी महिलाओं की संख्या करीब 100 हजार है, इन समाजों की महिलाओं ने जिलाधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठाया है. इसपर अधिकारियों का कहना है कि शासन से मार्गदर्शन मांगा है, समाधान जरूर निकल आएगा. इस मामले में भी प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जवाब मांगा है.