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किसान के खेतों की सैटेलाइट से होगी रेकी, गेहूं खरीदी में गड़बड़ी से शिवराज सरकार सतर्क - एमपी सरकार खेतों की रेकी

मध्यप्रदेश सरकार अब किसानों के खेतों की सेटेलाइट से रेकी कराएगी. बताया जा रहा है कि गेहूं खरीदी में होने वाले खेल को रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है.

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Published : Feb 9, 2023, 9:47 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में उपार्जन के दौरान गेहूं खरीदी में होने वाले खेल रोकने के लिए राज्य शासन द्वारा सैटेलाइट की मदद ली जा रही है. सैटेलाइट के माध्यम से सीधे उन किसानों के खेतों की रेकी की जा रही है, जो समर्थन मूल्य पर अपना गेहूं बेचने के लिए उपार्जन केन्द्रों पर पहुंचने वाले हैं. राज्य शासन सैटेलाइट के माध्यम से किसानों के खेतों की मैपिंग कर रही है और पता लगा रही है कि किसान कहीं दूसरी फसल की बुआई कर गेहूं बेचने के लिए अपना पंजीयन तो नहीं करा रहे. पिछले साल जबलपुर जिले में बेहतर परिणाम मिलने के बाद इस साल से इसे प्रदेश के सीमावर्ती जिलों सहित बड़े शहरों में लागू किया जा रहा है.

इसलिए उठाया जा रहा कदम: गेहूं उपार्जन के लिए राज्य शासन ने तैयारियां शुरू कर दी है. गेहूं खरीदी की तारीख तो अभी नहीं आई है, लेकिन इसका पंजीयन 6 फरवरी से शुरू कर दिय गया है, जो 28 फरवरी तक चलेगा. पंजीयन के बाद उपार्जन शुरू किया गया. उपार्जन में गेहूं का खेल रोकने के लिए राज्य शासन ने प्रदेश के सीमावर्ती जिले सीधी, सतना, रीवा, छतरपुर, पन्ना, दतिया, भिंड सहित बड़े शहरों में किसानों के खेतों की सेटेलाइट के माध्यम से मैपिंग कराई जा रही है. दरअसल पिछले सालों में उपार्जन के दौरान भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं. सीमावर्ती जिलों में दूसरे राज्यों का गेहूं एमपी में समर्थन मूल्य पर बेचने के पूर्व में कई मामले सामने आ चुके हैं. साल 2022 में देवास जिले में चौंकाने वाला मामला सामने आया था, जिसमें जिन खसरा नंबर पर खेत बताए गए थे, जांच में यहां पहाड़ और जंगल निकले थे.

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पड़ोसी राज्यों पर खास फोकस: गेहूं खरीदी में गड़बड़ी रोकने के लिए राज्य सरकार ने पिछले साल प्रयोग के तौर पर जबलपुर में धान के उपार्जन से सैटेलाइट मैपिंग कराई थी. जिसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं. इसको देखते हुए अब प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में इस उपयोग में लाया जा रहा है. खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के मुताबिक किसानों के खेतों की खसरा वार सैटेलाइट से मैपिंग कराई जाएगी. मैपिंग में पता चलेगा कि किस खेत में कौन सी फसल लगी है. हालांकि जिन मामलों में रिकॉर्ड में गड़बड़ी मिलेगी, किसान की शिकायत पर राजस्व अधिकारियों से उसकी गिरदावरी कराई जाएगी. इसके बाद उन्हें अपनी फसल बेचने की अनुमति मिल जाएगी.

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28 फरवरी तक चलेगा रजिस्ट्रेशन: समर्थन मूल्य पर गेंहूं उपार्जन के लिए प्रदेश में 6 फरवरी से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. किसान 28 फरवरी तक इसके लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. किसान अपना यह रजिस्ट्रेशन एमपी किसान ऐप, ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, तहसील कार्यालय, सहकारी समितियों द्वारा संचालित पंजीयन केन्द्र पर निशुल्क करा सकेंगे. पिछले साल तक व्यवस्था की गई थी कि किसान को फसल बेचने के लिए तारीख दी जाती है, हालांकि इस बार किसान उपार्जन शुरू होने के बाद अपनी मर्जी से किसी भी दिन जा सकेगा.

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