भोपाल। मध्यप्रदेश में उपार्जन के दौरान गेहूं खरीदी में होने वाले खेल रोकने के लिए राज्य शासन द्वारा सैटेलाइट की मदद ली जा रही है. सैटेलाइट के माध्यम से सीधे उन किसानों के खेतों की रेकी की जा रही है, जो समर्थन मूल्य पर अपना गेहूं बेचने के लिए उपार्जन केन्द्रों पर पहुंचने वाले हैं. राज्य शासन सैटेलाइट के माध्यम से किसानों के खेतों की मैपिंग कर रही है और पता लगा रही है कि किसान कहीं दूसरी फसल की बुआई कर गेहूं बेचने के लिए अपना पंजीयन तो नहीं करा रहे. पिछले साल जबलपुर जिले में बेहतर परिणाम मिलने के बाद इस साल से इसे प्रदेश के सीमावर्ती जिलों सहित बड़े शहरों में लागू किया जा रहा है.
इसलिए उठाया जा रहा कदम: गेहूं उपार्जन के लिए राज्य शासन ने तैयारियां शुरू कर दी है. गेहूं खरीदी की तारीख तो अभी नहीं आई है, लेकिन इसका पंजीयन 6 फरवरी से शुरू कर दिय गया है, जो 28 फरवरी तक चलेगा. पंजीयन के बाद उपार्जन शुरू किया गया. उपार्जन में गेहूं का खेल रोकने के लिए राज्य शासन ने प्रदेश के सीमावर्ती जिले सीधी, सतना, रीवा, छतरपुर, पन्ना, दतिया, भिंड सहित बड़े शहरों में किसानों के खेतों की सेटेलाइट के माध्यम से मैपिंग कराई जा रही है. दरअसल पिछले सालों में उपार्जन के दौरान भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं. सीमावर्ती जिलों में दूसरे राज्यों का गेहूं एमपी में समर्थन मूल्य पर बेचने के पूर्व में कई मामले सामने आ चुके हैं. साल 2022 में देवास जिले में चौंकाने वाला मामला सामने आया था, जिसमें जिन खसरा नंबर पर खेत बताए गए थे, जांच में यहां पहाड़ और जंगल निकले थे.
MP में गेहूं खरीदी में गड़बड़ी को लेकर सरकार सतर्क, बायोमेट्रिक सत्यापन से पंजीयन के निर्देश