भोपाल।मध्यप्रदेश के 7997 अनाथ (Orphan children in mp) बच्चों का भरण पोषण राज्य सरकार निजी स्पाॅन्सरशिप के माध्यम से कराने की कोशिश में जुटी है. इसके लिए निजी स्पाॅन्सरशिप की तलाश की जा रही है. कोरोना के चलते प्रदेश के 1761 बच्चे अनाथ हुए हैं, जिन्होंने कोरोना में माता या पिता में से किसी एक को खोया है.
प्रदेश में कितने बच्चे हैं अनाथ
राज्य सरकार को सर्वे के बाद प्रदेश में 7997 अनाथ बच्चों (survey of orphan child in mp) को चिन्हित किया था. राज्य सरकार ने यह सर्वे कोरोना की पहली और दूसरी लहर में अनाथ बच्चों को लेकर कराया था. इसमें पता चला कि कोरोना काल में प्रदेश में कुल 1761 बच्चे अनाथ हो गए. इसके अलावा 5219 बच्चे ऐसे मिले, जिन्होंने कोरोना में अपने मां या पिता किसी एक को खो दिया. इसके अलावा परित्याग्ता बच्चों की संख्या 361 पाइ गइ. इसके अलावा 1436 बच्चे स्ट्रीट चाइल्ड हैं. इन तमाम बच्चों के भरण-पोषण और पढ़ाई लिखाई का इंतजाम प्राइवेट स्पाॅन्सरशिप के जरिए कराने के लिए राज्य सरकार कोशिश में जुटी है. सरकार की कोशिश है कि निजी संस्थाएं, उद्योगपति, कंपनियां और सक्षम लोग ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी ले.
कई संस्थाएं आईं आगे
हालांकि कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए प्रदेश में कई संस्थाएं (adoption of orphan children in mp) आगे आई हैं. वेदंतु इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड 83 बच्चों के लिए 20 लाख रुपए दे चुका है. इसी तरह कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन द्वारा 125 बच्चों के लिए 30 लाख रुपए दिए हैं, लेकिन अभी भी कई और स्पाॅन्सरशिप की जरूरत है. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा तमाम बड़ी संस्थाओं से संपर्क किया जा रहा है. वहीं स्थानीय स्तर पर भी जन सहभागिता से सहयोग कराए जाने की कोशिश की जा रही है.
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इंदौर में 479 बच्चों को जन सहभागिता के जरिए मदद मिली है. इसी तरह भोपाल में भी 517 बच्चों की मदद के लिए लोग आगे आए हैं. हालांकि अभी भी बड़ी संख्या में बच्चों को मदद की दरकार है. उधर, बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य बृजेश चौहान के मुताबिक आयोग ने ऐसे अनाथ बच्चों को चिह्नित कर लिया है. अब कोशिश है कि इन बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए लोग भी आगे आएं. इसकी कोशिश की जा रही है.
सीएम शिवराज की बातें हवा-हवाई
कहने को तो सरकार अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने के लिए प्राइवेट संस्थाओं को आमंत्रित कर रही है, लेकिन धरातल पर स्थिति इसके उलटा है. प्रदेश भर में कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चे अब भीख मांगने को मजबूर है. वहीं कुछ स्थानों पर उनकी जमीन को कब्जाने के मामले भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में सीएम शिवराज सिंह चौहान के किए गए वादे अब हवा-हवाई नजर आने लगे हैं.
सागर में कोरोना में अनाथ हुए बच्चों से जमीन छीन रही सरकार
सागर के कर्रापुर गांव में कोरोना ने दो नाबालिग बच्चों के मां-बाप की मौत हो गई. -पिता के न रहने के कारण ये बच्चे न केवल भावनात्मक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, बल्कि आर्थिक परेशानियों से भी जूझ रहे हैं. खेलने-कूदने की उम्र में ये बच्चे अब जिंदगी के लिए जद्दोजहद में लगे हैं. मां-बाप का साया छिनने के बाद बच्चों के पास जीवन यापन का एकमात्र सहारा इनकी छोटी सी जमीन थी. इसे भी अब सरकार छीनने जा रही है. कर्रापुर गांव से सागर-कानपुर हाईवे निकलता है, जिसे फोरलेन बनाया जा रहा है. इसके निर्माण के लिए सरकार इन बच्चों की जमीन का अधिग्रहण करने जा रही है. हैरानी की बात ये है कि बच्चों को जो मुआवजा दिया जा रहा है वह महज 960 रुपए है.
भिंड में भीख मांगने को मजबूर अनाथ
भिंड के अमाहा गांव में कोरोना की दूसरी लहर में राघवेंद्र वाल्मीकि और उनकी पत्नी गिरिजा की मौत हो गई. अपने पीछे दोनों पांच बच्चे छोड़ गए. जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते पीएम केयर फॉर चिल्ड्रन योजना और मुख्यमंत्री की सीएम कोविड बाल कल्याण योजना का भी इन बेसहारा और अनाथ बच्चों को लाभ नहीं मिला. जिसके चलते अब यह बच्चे भीख मांगने पर मजबूर हैं. 5 बच्चों में सबसे बड़ी बेटी की उम्र महज 7 साल है, जबकि सबसे छोटा बच्चा 7 महीने का है. ये भाई-बहन पेट पालने के लिए हर रोज गांव से मिलने वाली भीख के मोहताज हैं, बड़ी बेटी घर-घर जाकर खाना मांगती है, जिससे उनका पेट भरता है.