भोपाल।गुजरात में बिलकिस बानो मामले के दोषियों को रिहा करने को लेकर छिड़े विवाद के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने ऐसे मामलों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. मध्य प्रदेश सरकार ने तय किया है कि नाबालिग से दुष्कर्म, आतंकी गतिविधियों में लिप्त और जहरीली शराब बनाने के मामले में आजीवन सजा पाने वाले कैदियों को अपनी आखिरी सांस तक जेल में ही रहना होगा. इसी तरह सामूहिक बलात्कार और 2 से ज्यादा हत्या के मामलों में भी कैदियों को आखरी सांस तक रिहा नहीं किया जाएगा. आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदियों की समय से पहले रिहाई की प्रस्तावित नीति में इसका प्रावधान किया गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस नीति के प्रावधानों की समीक्षा की है. अपर मुख्य सचिव गृह एवं जेल डॉक्टर राजेश राजौरा की अध्यक्षता में गठित टीम ने करीब आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में अपनाई जा रही नीति के अध्ययन के बाद मध्य प्रदेश की नीति प्रस्तावित की है.
नीति में किए गए कई प्रावधान
आजीवन सजा प्राप्त करने वाले कैदियों की रिहाई के संबंध में प्रस्तावित नीति में प्रावधान किया गया है कि दुष्कर्म के दोषी बंदी 25 साल की वास्तविक कारावास पूरा करने के पहले जेल से रिहा नहीं हो सकेंगे. आजीवन कारावास वाले बंदियों की रिहाई तभी होगी जब कलेक्टर पुलिस अधीक्षक और जिला अभियोजन की अनुशंसा होगी. जेल मुख्यालय शासन से अनुशंसा करेगा और इसका अंतिम फैसला राज्य सरकार लेगी. नई नीति में प्रावधान किया गया है कि ऐसे कैदियों की रिहाई अब साल में दो बार के स्थान पर चार बार की जाएगी. यह रिहाई 15 अगस्त 26 जनवरी 14 अप्रैल और 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन होगी. इसके लिए जिला स्तरीय समिति के पास प्रस्ताव जेल मुख्यालय परीक्षण करके अनुशंसा करेगा. इसके बाद शासन इस पर अपना अंतिम निर्णय लेगा. अभी साल में दो बार कैदियों की रिहाई की जाती है. यह 15 अगस्त और 26 जनवरी को होती है. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की जेलों में अभी 12000 से ज्यादा बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.
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