भोपाल। मैं मध्यप्रदेश बोल रहा हूं. मैं सुनाऊंगा तुम्हें अपनी कहानी के वो हिस्से. जो तुम तक नहीं पहुंचे वो सारे किस्से. सतपुड़ा विँध्याचल के भोर से,नर्मदा चंबल के छोर से सुनो मुझे. तो आंखे मूंद लो मैं ले चलता हूं, तुम्हें उस दौर में जब मैंने आंखे खोली थी. एक नवंबर 1956 का दिन था वो. यकीन मानों ना ऐसी भागती सड़कें थी. ना सूरज को निगलतीं ऐसी इमारतें थीं शहरों में. कुदरत का हरा कालीन बिछा था और मैं उस पर जी भर के खेलता था. (67th foundation day of madhya pradesh) (mp foundation day on 1st november) (madhya pradesh heart of country)
MP Foundation Day: समृद्ध और वैभवशाली इतिहास के बाद भी ग्वालियर नहीं बना MP की राजधानी, जानिए क्यों हुआ विरोध
हरा भरा हो मध्यप्रदेशः सुनो मैं मध्यप्रदेश बोल रहा हूं....याद होगा ना तुम्हे. जन जन का है यही संदेश, हरा भरा हो मध्यप्रदेश. ये तब की बात है कि जब मुझे समय के साथ खुद को बदलना पड़ा था. चला तो मैं भी वैसे ही कि जैसे गांव से शहर आता है कोई लड़का.वो जो पूरा बांकपन लिए होता है,अपने ठेठ रंगों में. मैं भी तो ऐसा ही था. लेकिन जरुरतें बढ़ी, तो बदलाव भी करने पड़े. वक्त के साथ आया बदलाव था ये भी कि मेरे आंगन में खड़ी हरियाली पर कुल्हाड़ी चलनी शुरु हो गई थी. (mp foundation day on 1st november) (67th foundation day of madhya pradesh)
मध्यप्रदेश 67वां स्थापना दिवस कैसे खुले थे कल कारखानेः ये वो वक्त था कि जब मेरी छाती पर क्रांक्रीट के जंगलों की नींव रखी जा रही थी. खोले जा रहे थे कल कारखाने इंदौर की कपड़ा मिल भोपाल का बीएचईएल उसी दरमियान की है कहानी. पीथमपुर धार मालनपुर खड़े हो रहे थे उस दौर में. शुरुआत में कृषि आधारित उद्योगों का ही जोर था. देश भर में पहुंचती थी मेरी मिठास. गन्ने का भरपूर उत्पादन तो दिन रात चलती थीं शुगर मिलें पूरी होती थी किसान मजदूर की आस. मेरी स्थापना के दस साल बाद नए उद्योग को बढ़ाने 1965 में मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम की स्थापना भी कर दी गई. इसके पहले ही इंडस्ट्री आनी शुरु हो गई. 1960 में भोपाल में शुरु हुआ बिजली का भारी सामान बनाने का भारत हैवी इलैक्ट्रीकल्स लिमिटेड. नेपानगर में शुरु हुई कागज मिल और मुरैना, सतना, मैहर, नीमच में शुरु हुए सीमेंट कारखाने. तेंदुपत्ता संग्रहण के साथ बुंदेलखंड के बड़े हिस्से में बीड़ी उद्योग भी वजूद में आया. तुम पूछोगे सात दशक के अंतराल में क्या अंतर आया तो अब खुल रहे हैं आईटी हब. देश दुनिया से निवेश आ रहे हैं. नौजवानों को उम्मीद बंधा रहे हैं. (mp foundation day on 1st november) (67th foundation day of madhya pradesh) (madhya pradesh heart of country) (mp dil Jawan is even in 67 years)
मैं प्रार्थना में भी खड़ा हूं दुआ में भीः हिंदुस्तान का दिल हूं मैं. भारत का ह्रदय प्रदेश, मेरे दिल में किसी के लिए कोई फर्क नहीं. मैं राम का भी हूं रहीम का भी. मैं प्रार्थना में भी खड़ा हूं दुआ में भी हूं. लेकिन जानते हो मैं इत्मीनान में कब होता हूं. जब मेरा आदिवासी भाई अपनी मेहनत का पूरा मेहनताना लेकर इत्मीनान से सोता है. वो जो जंगल-जंगल मेरी पहचान खोजता है बोता है. गुजरे सात दशकों में बड़ा बदलाव आया है. मेरे मस्तक पर विराजे महाकाल और मेरी रगों में बहती नर्मदा. अब देश दुनिया मुझे इन्ही की वजह से देखती है. महाकाल लोक का वैभव और मेरी रगों में पूरे वेग से बहती नर्मदा. देश दुनिया के हर कोने से लोग इनके दर्शन को यहां आते हैं. (mp I stand in prayer also in dua) (mp foundation day on 1st november) (67th foundation day of madhya pradesh) (mp dil Jawan is even in 67 years) (madhya pradesh heart of country)
मध्यप्रदेश 67 साल में भी है दिल जवान राजनीति में दो दलों का ही दमः सुनो, सियासत की भी कहानी. हमेशा दो दलों में बंटा रहा हूं मैं. मेरे सूबे का मानस ऐसा ही है. वो इस पार होता है या उस पार. सियासत में कभी किसी तीसरे के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई. तीसरे दल के रूप में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी ने कोशिश भी की. पैर भी नहीं जमा पाए वे दोनों. इस बीच 2000 का वो साल आया. जब मेरे जिस्म का एक हिस्सा मुझसे अलग हो गया. ये पीड़ा का बरस था मेरे लिए. ये विभाजन सिर्फ एक प्रदेश का नहीं था. यकीन जानिए मेरा घर बंट रहा था. परिवार कट रहा था. 44 बरस की उम्र में जैसे अपने परिवार को साथ लिए कोई भाई अलग हो जाए. तब मैं सोच रहा था. क्या ले जाएगा मेरी पहचान छत्तीसगढ़िया महान. फिर आया 2020 का साल ये भी एतिहासिक. दो दलों की राजनीति में सिमटे प्रदेश ने ऐसा दलबदल बेशक पहली बार देखा था. लेकिन इसकी नींव तो 1963 में ही पड़ गई थी. जब विधायकों की बाड़े बंदी के बाद डीपी मिश्रा की सरकार बनी थी. (mp there are only two parties in politics) (mp foundation day on 1st november) (67th foundation day of madhya pradesh)
67 साल में भी है दिल जवानःमैं मध्यप्रदेश बोल रहा हूं. जानता हूं मैं, मुझ पर निबंध लिखते हुए तुम लिखते हो, मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है. मैं खेतों में मुस्काता हूं. मेरी तीन चौथाई आबादी खेती किसानी से ही तो जुड़ी है. जानते हो, मैं खिल जाता हूं, गदगद हो जाता हूं, जब देखता हूं अपनी बांह में झूले. मेरी गोदी में खेले बच्चों को आसमान छूते हुए. कुमार गंधर्व से लेकर उस्ताद अमजद अली खां तक. मकबूल फिदा हुसैन से लेकर सैयद हैदर रजा और हबीब तनवीर से लेकर असगरी बाई. माखनलाल चतुर्वेदी से लेकर शरद जोशी, दुष्यंत कुमारतक. संगीत और साहित्य के ये पुरोधा, सब मेरी पहचान में चार चांद लगाते हैं. मैं मध्यप्रदेश बोल रहा हूं. उम्र के 67 साल पूरे कर चुका हूं. आज फिर भी दिल जवान है. हिंदुस्तान का दिल हूं ना, रुक नहीं सकता, थम नहीं सकता. (madhya pradesh heart of country) (mp dil Jawan is even in 67 years) (mp foundation day on 1st november)