भोपाल।मध्यप्रदेश के शिवपुरी के खिरिया जागीर निवासी घनश्याम यादव का मामला अगस्त 2016 में चर्चित हुआ था. घनश्याम ने अपनी डेयरी पर सैंपल लेने वाले फूड सेफ्टी ऑफिसर हनुमान प्रसाद मित्तल, कमिश्नर और सरकार के खिलाफ केस कर दिया था, क्योंकि इन्होंने बिना परमानेंट डेजिग्नेटिड ऑफिसर तैनात किए सैंपलिंग की थी. इस आधार पर फूड डिपार्टमेंट को जवाब देना मुश्किल हो गया था. दरअसल,, खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 36 के नियम 2 के मुताबिक परमानेंट डेजिग्नेटिड ऑफिसर के बगैर सैंपल लेना या एक्ट के तहत अन्य कोई कार्रवाई करना अवैध है. इसी को घनश्याम ने आधार बनाया था. इसके बाद भी सरकार ने इस पर भर्ती या प्रमोशन के लिए कोई प्रयास नहीं किए.
एक भी जिले में परमानेंट अफसर नहीं :हाल यह है कि प्रदेश के 52 जिलों में से एक में भी खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत परमानेंट डेजिग्नेटिड ऑफिसर यानी पूर्णकालिक अभिहित अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो पाई है. लाइसेंस जारी करने से लेकर कार्रवाई और खाद निरीक्षकों की जिम्मेदारी तय करने के लिए परमानेंट डेजिग्नेटिड ऑफिसर की नियुक्ति अनिवार्य है. इस मामले में खाद्य सुरक्षा एवं नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त डॉ. सुदाम पी खाड़े का कहना है कि हमारे यहां परमानेंट डेजिग्नेटिड ऑफिसर के लिए प्रमोशन की पोस्ट है. जैसे ही नीचे से कोई प्रमोट होता है तो उसे नियुक्त कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रदेश में प्रमोशन पर रोक है. ऐसे में हमारे यहां सभी सीएमएचओ को इसका चार्ज दिया गया है और इससे कहीं कोई समस्या नहीं होती है.