भोपाल।मध्यप्रदेश में किसानों के लिए एक बार फिर खाद के संकट ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है. रबी की बुआई के लिए किसान तैयार बैठा है. कई जगह मौसम में ठंडक आने से बोवनी शुरू कर दी गई है, लेकिन किसानों के सामने यूरिया, डीएपी का संकट है. चना, मसूर, सरसों के साथ गेहूं की बुवाई के लिए डीएपी और यूरिया खाद की बेहद जरुरत किसानों को बनी हुई है, जिसके लिए वे कामकाज छोड़कर सोसायटी के चक्कर काटने पर मजबूर हैं.(mp farmer demand fertilizer)
किन जिलों में संकट गहराया: हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के कई जिलों में खाद का भारी संकट बना हुआ है. सिर्फ गुना जिले में ही 10 हजार टन डीएपी खाद की कमी बनी हुई है. इसी तरह से विदिशा में अब तक 2917 टन यूरिया वितरित किया गया है, और 2188 टन का स्टॉक होने का दावा किया जा रहा है. अशोकनगर जिले में यूरिया, डीएपी, एनपीके और एसएसपी चारों खाद मिलाकर 70 हजार मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता की तुलना में 37,200 मीट्रिक टन ही मिली है. रायसेन जिले के बेगमगंज के गोदाम पर खाद लेने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है.
खाद की किल्लत में जी रहे किसान: सागर जिले में मार्कफेड के गोदाम में यूरिया खत्म हो चुका है. डीएपी का दो दिन का ही स्टॉक बचा है. जिले में रबी सीजन की बुवाई के लिए 21 हजार टन यूरिया और 12500 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है. पिछले दो दिनों में 1900 मैट्रिक टन खाद ही आया है. छतरपुर में अभी 8 हजार मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है, लेकिन उपलब्धता मात्र 100 टन है. शिवपुरी जिले में इस रबी सीजन के लिए डीएपी खाद की कुल मांग 36 हजार मीट्रिक टन भेजी है, जिसकी तुलना में 7500 मीट्रिक टन यानी लगभग 21 प्रतिशत ही डीएपी उपलब्ध हो पाया है. अक्टूबर में 15 हजार की मांग थी, लेकिन शासन से 7500 मीट्रिक टन ही मिल पाया है. सरसों की बोवनी के लिए किसानों में डीएपी की मांग अधिक है.(mp government said sufficient quantity fertilizer)