भोपाल। मध्यप्रदेश के वो नेता जिनकी सियासत का एपिसेंटर इस प्रदेश के मिडिल यानि मध्य में है. वो दो दिग्गज राजनेता जिनके नाम के साथ ना केवल इनकी पार्टियों की जीत हार बल्कि इनकी अपनी साख भी इस चुनाव में दांव पर लगी हुई है. सीएम शिवराज सिंह चौहान की उम्मीदवारी बतौर सीट बुधनी भले हो लेकिन उनका इम्तेहान 230 सीटों पर है. शिवराज सिंह चौहान के लिए ये चुनाव उनके जीवन का निर्णायक चुनाव है. पहला चुनाव जब बीजेपी ने जीत की गारंटी कहे जाने वाले इस शख्स को किनारे किया है. इस राज्य के मध्य से दूसरे सियासी शेर हैं दिग्विजय सिंह. पर्दे के पीछे कांग्रेस की जड़ और जमीन मजबूत करने में महीनों से जुटे दिग्विजय सिंह की सियासत दांव पर है. ये उनका आखिरी चुनाव बेशक नहीं....लेकिन उनकी राजनीतिक पारी के मद्देनजर बेहद अहम चुनाव है.
टाइगर इज बैक....क्या शिवराज के लिए ये मुमकिन होगा : याद कीजिए 2020 के उपचुनाव में बीजेपी को मिली जीत के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा था टाइगर इज बैक....आशय ये था कि टाइगर लौट आया है. इस बार शिवराज सत्ता में हैं. बीजेपी के सबसे ज्यादा समय तक सत्ता में रहने का रिकार्ड बना चुके मुख्यमंत्री. जो बीजेपी में जीत की गारंटी माने जाते थे. अब उनका सियासी भविष्य इस सवाल पर खड़ा है कि एमपी में बीजेपी की जीत का सफर बरकरार रहेगा क्या. एंटी इन्कमबेंसी को भांप रही पार्टी ने बहुत करीने से शिवराज को किनारा किया.